Jain Monk: 200 करोड़ रुपए की संपत्ति दान करके कपल बना संन्यासी, इस एक वजह के चलते लिया बड़ा फैसला
Gujarati Businessman Become Monk: गुजरात के एक कारोबारी ने 200 करोड़ रुपए की संपत्ति दान करके अपने परिवार सहित संन्यास ले लिया है. कारोबारी के इस निर्णय की इस समय सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा हो रही है.
Who is Bhavesh Bhai Bhandari: गुजरात का एक कंस्ट्रक्शन बिजनेसमेन इस समय सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. इस कारोबारी का नाम है भावेश भाई भंडारी, जिसने अपने जीवन भर की कमाई दान कर दी है. यह कमाई भी कम नहीं है, बल्कि 200 करोड़ रुपए की संपत्ति है. भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपनी 200 करोड़ रुपए की पूरी संपत्ति दान कर दी और आगे का जीवन संन्यासी बनकर जीने का फैसला लिया है. अब तक लग्जरी जीवन का आनंद लेता रहा यह कपल अब बिना पंखा, कूलर, एसी के जमीन पर सोएगा. पैदल यात्रा करेगा और मांगकर भोजन करेगा.
गुजरात में फैला था कारोबार
गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में रहने वाले भावेश भाई भंडारी का कंस्ट्रक्शन कारोबार हिम्मतनगर, अहमदाबाद समेत गुजरात के कुछ अन्य शहरों में फैला था. वे शानदार जीवन जी रहे थे. लेकिन अब उन्होंने जैन संन्यासी बनकर आगे का पूरा जीवन भगवान की आराधना करने में बिताने का फैसला लिया है. इसके लिए उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर अपनी पूरी संपत्ति दान दी और जैन संन्यासी बनने की घोषणा की. भावेश भाई का परिवार पहले से ही जैन मुनियों के साथ काफी जुड़ा रहा है और उनकी सेवा करता रहा है.
हाल ही में हिम्मतनगर में आयोजित हुए एक भव्य जुलूस में भंडारी दंपति ने अपनी 200 करोड़ की पूरी संपत्ति दान करके जैन संन्यासी बनने की इच्छा जताई. उनके साथ 35 अन्य लोगों ने भी जैन संन्यासी बनने का निर्णय लिया है. 22 अप्रैल को उन्हें जैन मुनि बनने की दीक्षा दी जाएगी.
बच्चे पहले ही ले चुके हैं संन्यास
भावेश भाई के बच्चे पहले ही संन्यास ले चुके हैं. इससे पहले साल 2022 में उनके 16 साल के बेटे और 19 साल की बेटी ने संन्यास ले लिया था. अब भावेश भाई और उनकी पत्नी ने भी अपने बच्चों की राह पर चलने का फैसला ले लिया है.
मांग कर खाएंगे, जमीन पर सोएंगे
जैन मुनियों की साधना और तपस्या बहुत कठिन मानी गई है. जैन मुनि किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक आइटम का उपयोग नहीं कर सकते हैं. यहां तक कि वे पंखे की हवा में भी नहीं रहते हैं. वे जमीन पर चटाई या लकड़ी का पटा बिछाकर सोते हैं, पैदल यात्रा करते हैं और मांग कर आहार (भोजन) करते हैं.
भावेश भाई के इस कदम की सोशल मीडिया पर जमकर सराहना हो रही है. लोग उनके निर्णय को बहुत बड़ा फैसला बता रहे हैं और उनके आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं भी दे रहे हैं.