Sri Krishna and Uddhava Story: जिस तरह भगवान को अपनी बुआ कुंती के बेटे अर्जुन बेहद प्रिय थे, वैसे ही चाचा देवभाग के पुत्र उद्धव से भी श्रीकृष्‍ण का अपार स्‍नेह थे. अर्जुन की तरह भगवान कृष्‍ण ने उद्धव को भी गीता के उपदेश दिए थे. उद्धव बेहद बुद्धिमान और गंभीर स्‍वभाव के थे, वहीं इसके उलट कृष्‍ण मजाकिया स्‍वभाव वाले और अपनी लीलाओं से सबका मन मोहने वाले थे. उद्धव से जुड़ी 2 घटनाएं बेहद मशहूर हैं, जिनके कारण उनका जिक्र प्रमुखता से होता है. 


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बेहद अहम से श्रीकृष्‍ण और उद्धव से जुड़ी ये घटनाएं 


उद्धव जिन 2 मुख्य घटनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, उनमें से पहली घटना वो है, जिसमें उन्हें वृंदावन जाकर ग्वालिनों को यह बताना था कि कृष्ण अब कभी वृंदावन नहीं लौटेंगे. कृष्‍ण के प्रेम में व्‍याकुल और शोक में डूबी गोपिकाओं को उद्धव ने समझाया था कि जीवन में बदलाव अनिवार्य है और बुद्धिमान लोग सांसारिक जीवन से तटस्‍थ रहते हैं. 


वहीं दूसरी घटना तो बहुत पीड़ीदायक थी जिसमें उद्धव को सारे द्वारकावासियों को यह बताना था कि संपूर्ण यादव वंश का विध्वंस हो चुका है. भगवान श्रीकृष्‍ण के जीवन के अंतिम चरण में जब यादवों में गृहयुद्ध हुआ तो श्रीकृष्‍ण ने उन्‍हें रोका नहीं. यहां तक कि जब शिकारी के विषैले बाण से कृष्ण के बाएं पैर का तलवा जख्मी हो गया. तब भगवान कृष्‍ण की इतनी जल्‍दी बैकुंठ वापसी ने उद्धव को परेशान कर दिया और वे भावविह्वल हो गए. तब भगवान श्रीकृष्‍ण ने उद्धव गीता बताई, जिसे हंस गीता भी कहा जाता है. 
 
श्रद्धा और धैर्य दोनों जरूरी 


उद्धव ने भगवान श्रीकृष्‍ण से पूछा कि यदुवंश के विनाश जैसी विषम परिस्थिति में भी वे इतने शांत कैसे हैं, तब भगवान श्रीकृष्‍ण ने कहा कि हे उद्धव आपको हंस जैसा बनने की जरूरत है. यानी कि जो पानी में तैरता है, लेकिन कभी भी अपने पंखों पर पानी नहीं लगते देता है. साथ ही कहा था कि असल बुद्धिमान व्‍यक्ति वही है, जिसमें श्रद्धा और धैर्य दोनों होते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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