Sunderkand Path Niyam: हनुमान जी एक मात्र ऐसे देवता हैं, जो कलयुग में विराजमान हैं. हनुमान जी को मां सीता ने अमरता का वरदान दिया था. कहते हैं कि सच्चे मन से हनुमान जी की आराधना करने से हनुमान जी भक्तों के सभी कष्ट दूर कर देते हैं. विदि-विधान के साथ हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 


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कहते हैं कि हनुमान जी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते. वे भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. मंगलवार के दिन हनुमान जी के सुंदरकांड पाठ करने की परंपरा है. मान्यता है कि हनुमान जी द्वारा किए गए कार्यों का इनमें पूरा वर्णन मिलता है. शास्त्रों के अनुसार नियमित रूप से 40 सप्ताह तक सुंदरकांड का पाठ करने से भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है. जानें सुंदरकांड का पाठ एक दिन में कितनी बार किया जा सकता है. 


सुंदरकांड पाठ करने के नियम


मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने का विधान है. लेकिन पाठ के साथ-साथ इसके नियमों के बारे में पता होना भी जरूरी है. अपनी इच्छानुसार सुंदरकांड का पाठ 11, 21 या 31 दिन तक किया जा सकता है. अगर आप सुंदरकांड का पाठ करते हैं, तो हनुमान जी की प्रतिमा अपने सामने स्थापित करके ही पाठ की शुरुआत करें.


हनुमान जी की ऐसी प्रतिमा सामने रखें जिसमें प्रभु श्री राम और मां सीता व लक्ष्मण भी हों. प्रतिमा स्थापित करने के बाद घी का दीपक जलाएं. साथ ही, बजरंगबली के चरणों में 7 पीपल के पत्ते अर्पित करें. लड्डू का भोग लगाएं और सुंदरकांड का पाठ शुरू करें. 


ये समय है सुंदरकांड का पाठ करने के लिए उत्तम


अगर आप सुंदरकांड का पाठ शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए सुबह का समय सबसे उत्तम है. सुंदरकांड का पाठ ब्रह्ममुहूर्त में सुबह 4 बजे से शुरू करके 6 बजे तक कर सकते हैं. वहीं, अगर आप सुंदरकांड का पाठ समुह में करवाना चाहते हैं तो शाम को 7 बजे के बाद ये पाठ करना चाहिए. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 


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