नई दिल्ली: नवशक्तियों से युक्त होने के कारण शक्ति की उपासना के महापर्व को नवरात्र कहा गया है. इस पावन पर्व की एक-एक तिथि पर एक-एक शक्ति की साधना, आराधना एवं पूजा का विधान है. एक वर्ष में कुल चार बार चैत्र, आश्विन, आषाढ़ और माघ माह में नवरात्र आते हैं. आषाढ़ और माघ माह में आने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्र और चैत्र में शयन नवरात्र तथा आश्विन में बोधन नवरात्र कहलाता है. इन सभी नवरात्र में देवी दुर्गा की उपासना से साधक को सुख-समृ​द्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.


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नवरात्र पर करें 9 देवी की साधना


सनातन परंपरा में शक्ति की साधना का अत्यंत महत्व है. कोई भी साधना बिना शक्ति—साधना के पूर्ण ही नहीं सकती. मां का शक्ति रूप ही पूरे विश्व को चैतन्य रखता है. शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा नव विद्या हैं, इसीलिए इनके नौ दिन तय किए गए हैं. शक्ति के तीन गुण हैं — सत्व, रजस एवं तमस. इन्हें जब हम तीन गुना करते हैं तो हमें नौ की संख्या प्राप्त होती है. यही कारण है कि नवरात्र में शक्ति के 9 स्वरूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी ओर सिद्धिदात्री की साधना के लिए 9 दिन सुनिश्चित किए गए हैं.


नवरात्र में कन्या पूजन


नवरात्र की साधना—आराधना में 9 कन्याओं के पूजन का अत्यधिक महत्व है. शक्ति की प्रतीक कन्याओं के पूजन से साधक को देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी साधना सफल होती है. ऐसे में बहुत से लोग नवरात्र के पहले दिन से लेकर नवमी तक प्रतिदिन एक कन्या का पूजन करते हैं. वहीं कुछ अष्टमी और नवमी वाले दिन ही नौ कन्याओं को घर में बुलाकर उनका पूजन करते हैं.


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नवरात्र की साधना में प्रत्येक दिन देवी के अनुसार ही भेग लगाएं. पहले दिन देवी को गौ घृत अपर्ण करें. दूसरे दिन शक्कर का भोग लगाएं. तीसरे दिन माता को भोग में विशेष रूप से दूध चढ़ाएं. चौथे दिन माता को मालपुआ का और पांचवें दिन  केले का भोग लगाएं. छठवें दिन माता को शहद और सप्तमी के दिन गुड़ का भोग लगाएं. अष्टमी के दिन माता को नारियल का नवमी वाले दिन माता को विशेष रूप से काले तिल से बने पकवान का भोग लगाएं.


नवरात्र में भूलकर कर करें ये काम


नवरात्र में शक्ति की साधना में पवित्रता, नियम और संयम का पूरा ख्याल रखें. देवी की साधना हमेशा निश्चित दिशा, एक निश्चित स्थान और एक निश्चित समय पर ही करें. प्रसाद ग्रहण करने से पहले देवी को भोग अवश्य अर्पित करें. नवरात्र के 9 दिनों में क्रोध या किसी के साथ झगड़ा न करें. न ही किसी से झूठ बोलें.