Immortal Souls: जानें उन दिव्य पुरुषों के बारे में, जो हनुमान जी के साथ कलयुग में भी हैं जिंदा
Chiranjeevi: हिंदू पौराणिक कथाओं में कई ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिनको अमरत्व का वरदान प्राप्त था. जैसे माना जाता है कि बजरंग बली हनुमान आज भी इस युग में विचरण कर रहे हैं, वैसे ही कई महापुरुष आज भी जिंदा हैं.
Divine Men Who are Alive: अमरत्व का वरदान यूं ही नहीं मिल जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमृत के जरिए ही अमर हुआ जा सकता है. इसके लिए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध भी हुआ था. जिसमें भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाया था. हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हुए हैं, जिनको अमरत्व का वरदान प्राप्त है. ये लोग रामायण और महाभारत काल से हमारे बीच जीवित हैं. इनमें से एक हनुमान जी भी हैं. हालांकि, ऐसे कुछ और दिव्य लोग भी हैं, जो आज भी इस संसार में विचरण कर रहे हैं.
हनुमान जी
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी आज भी जीवित हैं और इस धरती पर लोगों के बीच मौजूद हैं, इसलिए कलयुग में लोग पापों से मुक्ति पाने और अपने डर को दूर करने के लिए उनकी अराधना करते हैं. हनुमान ने लंका युद्ध में विजय हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी.
अश्वथामा
गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा को आज भी जीवित माना जाता है. उन्हें भगवान शिव ने अमर रहने का वरदान दिया था. वहीं, भगवान श्रीकृष्ण ने श्राप दिया था कि वह माथे पर अपने घाव के साथ इस धरती पर भटकते रहेंगे. उनके इस घाव से हमेशा खून बहते रहता है.
विभीषण
विभीषण को भी अमर माना जाता है. उन्होंने अपने भाई अंहकारी रावण का साथ न देकर, युद्ध में भगवान राम का साथ दिया था. उनके सहयोग के कारण ही प्रभु श्रीराम को युद्ध में जीत हासिल करने में काफी मदद मिली थी.
भगवान परशुराम
भगवान विष्णु के अवतारों में परशुराम जी भी एक हैं. उन्होंने कई बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था. उनको काफी क्रोधी स्वभाव का माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि वह भी अजर और अमर हैं और आज भी कलयुग में जिंदा हैं.
ऋषि मार्कंडेय
वैसे तो कई लोगों ने ऋषि मार्कंडेय का नाम सुना होगा. हालांकि, यह पता नहीं होगा कि उनको भी अमरत्व का वरदान प्राप्त था. ऋषि मार्कंडेय जन्म से ही अल्पायु थे. ऐसे में उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और तप के जरिए शिवजी को प्रसन्न कर चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त किया.
गुरु कृपाचार्य
महाभारत काल के एक और दिव्य महापुरुष गुरु कृपाचार्य थे. उनको कौरव और पांडवों का गुरु माना जाता है. उस दौर में उनका पराक्रम विश्वविख्यात था. वह काफी तपस्वी ऋषि थे. यही कारण है कि उन्होंने अपने तप के बल अमरत्व प्राप्त कर लिया था.
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