नई दिल्‍ली: सनातन धर्म में पूजा-पाठ के दौरान कई चीजों के उपयोग का बड़ा महत्‍व है. इनमें से एक चीज है कलावा (Kalava). अक्‍सर पूजा-पाठ शुरू होते समय पंडित जी यजमान को कलावा बांधते हैं. इसके अलावा कुछ मंदिरों में भी भक्‍तों को कलावे बांधे जाते हैं. कलावा (Raksha Sutra) बांधने कई फायदे हैं लेकिन इसे बांधते और निकालते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखना बहुत जरूरी है. 


कलावा बांधने के फायदे 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. विभिन्‍न देवी-देवताओं (God-Goddess) के नाम के इन कलावों को बांधने से भगवान भक्‍त की संकटों से रक्षा करते हैं. इसके अलावा कलावा बांधने से सकारात्‍मक ऊर्जा मिलती है. व्‍यक्ति का मन शांत और केन्द्रित रहता है. इसके अलावा कलावा बांधने से वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है. इससे नसों पर दबाव पड़ता है, जिसके कारण पुराने वैद्य हाथ, कमर, गले और पैर के अंगूठे पर कलावे बांधते थे. 


यह भी पढ़ें: Ratna Shastra: जिंदगी में सुख-समृद्धि लाने पहन रहे हैं रत्‍न, इन बातों का रखें ध्‍यान वरना हो जाएगा नुकसान


कलावा बांधते समय इन बातों का रखें ध्‍यान 


- कलावा को धारण करते समय उसे केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए. वहीं पुरुषों और अविवाहित लड़कियों को कलावा दाएं हाथ में जबकि विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में पहनना चाहिए. 


- कलावा बंधवाते समय हमेशा हाथ की मुट्ठी बांधकर रखें.  


- कोशिश करें कि कलावा किसी पंडित से मंत्रोच्‍चार के साथ बंधवाए. यदि ऐसा न हो तो भी कलावा बांधते समय ‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:, तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल..’ मंत्र पढ़ें. 


- कलावा को निकालने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन ही उचित होता है. अन्‍य किसी दिन में कलावा निकालने अशुभ माना जाता है. 


(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)