नई दिल्ली: सनातन परंपरा में भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के जन्मोत्सव का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था. ऐसे में दुनिया भर के कृष्णभक्त इस दिन कान्हा के नाम पर व्रत रखते हैं और जन्मोत्सव को पूरी श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाते हैं. 


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इस बार यह पावन पर्व हमेशा की तरह दो दिन पड़ रहा है. गृहस्थों के लिए 11 अगस्त का दिन और साधु-संतों के लिए 12 अगस्त का दिन शुभ रहेगा. हालांकि कई बार की तरह इस बार भी अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ नहीं पड़ रहे हैं. आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) पर किस विधि से लड्डू गोपाल की पूजा करने से उनकी शीघ्र ही कृपा प्राप्त होती है. —


1. वृत से पहले दिन अल्प आहार ग्रहण करें
कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को एक दिन पहले अल्प आहार ग्रहण करना चाहिए. व्रत वाले दिन प्रात:काल उठकर स्नान-ध्यान करके अपनी मनोकामना का ध्यान करते हुए भगवान कृष्ण के व्रत का नियम-संयम के साथ करने का संकल्प करें.


2. श्रद्धानुसार करें वृत का चयन
इस व्रत को कुछ लोग निराहार रखते हैं. यदि आप से किसी कारण संभव न हो तो व्रत के बीच में आप फल, दूध आदि ले सकते हैं.


3. मध्य रात्रि में करें भजन कीर्तन 
व्रत वाले दिन और मध्य रात्रि में भगवान कृष्ण के जन्म होने तक उनके नाम का जप, ध्यान, भजन-कीर्तन आदि करें. भगवान कृष्ण की कथा का श्रवण करें.


4. ऐसे करें कान्हा का श्रंगार
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान कृष्ण का पालना रखें. भगवान कृष्ण के बालस्वरूप की प्रतिमा को वस्त्र, फूल, इत्र, चंदन आदि से सजाकर पालने पर रखें. कान्हा के बाल स्वरूप के साथ उनकी सबसे प्रिय बांसुरी और मयूर पुष्प अवश्य रखें.


5. जन्म के समय लगाएं जयकारे
भगवान कृष्ण के जन्म का समय होते ही हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की का उद्घोष करें. भगवान के नाम का जयकारा लगाएं. साथ ही माता देवकी और पिता वासुदेव के नाम का भी जयकारा लगाएं.


6. प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही करें भोजन
जन्म के पश्चात् भगवान कृष्ण का पंचोपचार से पूजन करें. भगवान का श्रृंगार करके उनकी आरती करें. उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं और झूला पालने में लगे झूले को झुलाएं. ध्यान रहे कि भगवान के जन्मोत्सव का प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात् ही भोजन ग्रहण करना चाहिए.


7. परलोक में भी होगा सुख का अनुभव
भगवान कृष्ण से जुड़ा यह पावन पर्व इहलोक और परलोक में सभी प्रकार के सुख प्रदान कराने वाला है. ऐसे में इस व्रत को श्रद्धा और नियम-संयम के साथ करना चाहिए. जन्माष्टमी के दिन क्रोध, किसी की आलोचना न करें और न ही झूठ बोलें.


8. कान्हा को माखन-मिश्री का लगाएं भोग
जन्माष्टमी के बाद बाल गोपाल को प्रतिदिन गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान करवाएं. उन्हें पुष्प, फल—फूल, चंदन, धूप आदि समर्पित करें. प्रसाद में उन्हें माखन-मिश्री आदि का भोग लगाएं.


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