Janmashtami Vrat Rules: देश-दुनिया में इस बार जन्माष्टमी का पर्व 18 अगस्त को मनाया जा रहा है. इसके लिए मथुरा-वृंदावन समेत सभी घरों में तैयारियां जारी हैं. जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की कृपा पाने के लिए व्रत रखा जाता है. यह व्रत बाकी व्रत की तुलना में ज्यादा कठिन माना जाता है. इस दिन कान्हा जी के लिए बाल रूप के साथ ही माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) की पूजा का भी विधान होता है. कहा जाता है कि अगर आप विधि-विधान के साथ जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं तो लड्डू गोपाल के साथ मां लक्ष्मी भी आपसे प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर जमकर कृपा बरसाती हैं. आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के क्या नियम हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भगवान विष्णु के अवतार हैं कान्हा जी


भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) को भगवान विष्णु का मानव अवतार माना जाता है. ऐसे में अगर जन्माष्टमी पर विशेष पुण्य लाभ हासिल करना चाहते हैं तो उस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा जरूर करें और उन्हें तिल अर्पित करें. याद रहे कि दोपहर में जल में तिल मिलाकर आप उससे स्नान करें. ऐसा माना जाता है कि कंस के कारागार में बंद माता देवकी को दोपहर में उसी समय प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी और रात में कान्हा जी का जन्म हुआ था. इसलिए दोपहर में तिल के पानी से नहाने से विशेष लाभ हासिल होता है.


जन्माष्टमी पर ब्रह्म मुहूर्त में करें स्नान


धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) आपको ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 4 बजे उठ जाना चाहिए और नित्य क्रिया से निवृत होने के बाद स्नान करना चाहिए. इसके साथ ही हाथ में गंगाजल और तुलती के पत्ते हाथ में लेकर दिन में जन्माष्टमी व्रत के दौरान होने वाली वाली किसी भी भूल के लिए पहले ही ईश्वर से क्षमा याचना कर लेनी चाहिए. 


पूरे 24 घंटे चलता है जन्माष्टमी का व्रत


ध्यान रखने वाली खास बात ये है कि जन्माष्टमी का व्रत (Janmashtami Vrat 2022) पूरे 24 घंटे चलता है. यह व्रत इस बार 17 अगस्त की रात 12 बजे शुरू हो जाएगा और 18 अगस्त की रात को चंद्रमा दिखने के बाद इसका उद्यापन होगा. लिहाजा इन चौबीस घंटों के दौरान कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए. 


कान्हा जी को लगाएं तुलसी के पत्तों का भोग


भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) भगवान विष्णु के मानव अवतार थे और माता लक्ष्मी भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की अर्धांगिनी हैं. इस प्रकार जन्माष्टमी का पर्व एक तरीके से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी (Mata Lakshmi) को प्रसन्न करने का भी बढ़िया अवसर माना जाता है. चूंकि माता लक्ष्मी को तुलसी बेहद प्रिय हैं. इसलिए इस पूरे विधि-विधान से तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है. साथ ही रात में व्रत खोलते समय जब कान्हा जी को भोग लगाया जाता है तो उसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखने चाहिए. 


भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की एक साथ करें पूजा


हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक जन्माष्टमी पर कान्हा जी के बाल रूप के साथ-साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) की एक साथ पूजा करनी चाहिए. माना जाता है कि भगवान विष्णु को कमल के फूल बेहद प्रिय होते हैं. इसलिए घर के दरवाजों को कमल के फूल से सजाना चाहिए और साथ ही उनकी पूजा में भी ये फूल अर्पित करने चाहिए. इन उपायों से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं और भक्तों के घर को धन-धान्य से भरपूर कर देते हैं.


अपनी निःशुल्क कुंडली पाने के लिए यहाँ तुरंत क्लिक करें


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 


ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर