Jitiya Vrat 2023: पुत्र की लंबी आयु के लिए करते हैं जितिया व्रत, जानें पौराणिक कथा
Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत हिंदू धर्म में पुत्र की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. व्रत के दौरान जीमूतवाहन भगवान की पूजा की जाती है. जितिया व्रत की पौराणिक कथा महाभारत से संबंधित है, जिसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु को पुनः जीवित किया था.
Jitiya Vrat 2023: हिंदू धर्म में संतान, विशेषकर पुत्र के लिए कई पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण व्रत है 'जितिया व्रत'. इस व्रत को जीवितपुत्रिका व्रत या जिउतिया पर्व भी कहते हैं. ये पर्व विशेष रूप से भारत के कुछ हिस्सों बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. यह व्रत सप्तमी से शुरू होकर नवमी तक मनाया जाता है. इस साल यह व्रत 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा. महिलाएं इस व्रत में निर्जला और निराहार उपवास करती हैं. इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पुत्र की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की प्राप्ति है. जीतिया व्रत को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. इस व्रत का महत्व माता-पिता के लिए उनके बच्चों के प्रति उनकी अथक प्रेम को प्रकट करता है. यह व्रत माताओं द्वारा उनके बच्चों के लिए अथक प्रयासों और समर्पण की मिसाल प्रस्तुत करता है.
व्रत का सही समय
2023 में जितिया व्रत की तारीख 6 अक्टूबर है. इस दिन नहाय-खाय की प्रक्रिया से व्रत आरंभ होता है. व्रत की प्रक्रिया में, व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर नहाती हैं और सखियों के साथ मिलकर व्रत की कथा सुनती हैं. अगले दिन की सुबह, सूर्योदय के समय महिलाएं सूर्य को जल चढ़ाकर व्रत का पारण करती हैं. इस व्रत का पारण 7 अक्टूबर को सुबह 10:23 बजे होगा. हालांकि, कुछ ज्योतिषियों का विचार है कि 6 अक्टूबर को व्रत रखना उचित नहीं है, इसलिए 7 अक्टूबर को ही व्रत रखना चाहिए.
पूजा
व्रत रखते समय विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान जीमूतवाहन की पूजा मुख्य रूप से की जाती है, जिसकी प्रतिमा कुशा से निर्मित होती है. धूप, दीप और अन्य सामग्री के साथ पूजा का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा, गाय के गोबर और मिट्टी से बनाई जाने वाली मूर्तियां भी पूजा का हिस्सा बनती हैं.
व्रत कथा
जितिया व्रत की कथा महाभारत से संबंधित है. इसके अनुसार, जब अश्वत्थामा ने उत्तरा के गर्भ में पस रहे शिशु अभिमन्यु को मार डाला, तब श्रीकृष्ण ने अपनी अद्वितीय शक्तियों से उसे पुनः जीवित किया था. जन्म के बाद उस बालक का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. इसी प्रकार से जितिया व्रत की परंपरा का आरंभ हुआ.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)