Kaal Bhairav ​​Jayanti Puja Muhurat: काल भैरव को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. पुराणों के मुताबिक जब भगवान शंकर अपने रौद्र रूप में थे तो उनके रौद्र स्वरूप के रूप में काल भैरव का जन्म हुआ. भोलेनाथ का स्वरूप होने की वजह से उनके पास समय रोकने, कष्टों को हरने और दुष्टों का संहार करने समेत कई शक्तियां हासिल हैं. मान्यता है कि जो जातक नियमित रूप से काल भैरव की पूजा करते हैं, उन्हें भूत-प्रेत, रोग, आर्थिक तंगी समेत तमाम कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. 


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कब मनाई जाती है काल भैरव जयंती?


हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है. इस बार यह तिथि 22 नवंबर यानी आज शाम 6.06 बजे शुरू होकर 23 नवंबर को सुबह 7.57 बजे तक रहेगा. शास्त्रों के मुताबिक काल भैरव की पूजा निशा काल यानी रात में करने का विधान है, इसलिए काल भैरव जयंती आज रात को मनाई जाएगी. 


काल भैरव जयंती पर बन रहे वाले शुभ योग


ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक इस बार काल भैरव जयंती यानी कालाष्टमी पर 3 शुभ योग बन रहे हैं. इनमें इंद्र योग, ब्रह्म योग और रवि योग शामिल हैं. इन तीनों शुभ योगों के बनने से आज जो भी जातक काल भैरव की पूजा करेगा, उसे विशेष फलों की प्राप्ति होने जा रही है. 


कैसे करें काल भैरव की पूजा?


आज स्नान-ध्यान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें. फिर भगवान शिव और काल भैरव का स्मरण करें. दिन में कुत्तों को भोजन और जरूरतमंदों को दान करना न भूलें. रात में दोबारा स्नान करके काल भैरव की विधिवत पूजा करें. साथ ही उन्हें दही, जलेबी, इमरती, खीर, नारियल, दही बड़े, उड़द के बड़े अर्पित करें. फिर सरसो के तेल के 8 दीये जलाकर काल भैरव का मंत्र पढ़कर काल भैरवाष्टक का पाठ करें. उनसे जाने-अनजाने में की गई गलतियों की क्षमा भी जरूर मांगें.


काल भैरव का सिद्ध मंत्र 


ओऊं कालभैरवाय नम:


ओऊं भयहरणं च भैरव


ओऊं भ्रां कालभैरवाय फट्


ओऊं ह्वीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्वीं


ओऊं हं षं नं गं कं सं महाकाल भैरवाया नम:


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)