नई दिल्ली : ज़ी आध्यात्म (Zee Adhyatm) के इस अध्याय में अब वक्त है आज के मंत्र का. इसके साथ ही आपको बताएंगे कि मंत्र उच्चारण करने के क्या फायदे हैं. मंत्र युगों-युगों से हमारी संस्कृति और सभ्यता का अभिन्न हिस्सा रहे हैं. मंत्र सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करते हैं. मंत्रोच्चारण के बाद आप भी अपने अंदर आध्यात्मिक शांति महसूस करते होंगे. इसका कारण ये है कि जो नकारात्मक ऊर्जा हमें अशांत रखती है वह दूर हो जाती है.


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'स्वस्तिवाचन' मंत्र
चाहे कोई भी पूजा हो, शादी हो, घर का मुहूर्त हो या कोई हवन का आयोजन. एक मंत्र आपने जरूर सुना होगा, ऊं स्वस्ति न इंद्रो. स्वस्तिक हिन्दू धर्म का प्रतिक चिन्ह हैं और पीढ़ियों से इस्तेमाल में हैं. स्वस्तिक मंत्र या स्वस्ति मन्त्र शुभ और शांति के लिए इस्तेमाल होता है. स्वस्ति = सु + अस्ति से मिलकर बना है जिसका मतलब होता है कल्याण. ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के इससे हृदय और मन मिल जाते हैं. मंत्रोच्चार करते हुए अभिमंत्रित जल के छिड़काव से पारस्परिक क्रोध और वैमनस्य शांत होता है. स्वस्ति मन्त्र का पाठ करने की क्रिया 'स्वस्तिवाचन' कहलाती है.


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ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥"


जिसका अर्थ है-
'महान कीर्ति वाले इन्द्र हमारा कल्याण करो, विश्व के ज्ञानस्वरूप पूषादेव हमारा कल्याण करो. गरुड़ भगवान हमारा मंगल करो. बृहस्पति हमारा मंगल करो.'


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