नई दिल्ली: आज चंद्र ग्रहण है लेकिन इस ग्रहण की एक खास बात है जिसके कारण सामान्‍य चंद्रमा और ग्रहण के चंद्रमा में अंतर कर पाना मुश्किल होगा. चंद्रमा के आकार में भी परिवर्तन नहीं होगा. इसके अलावा इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्‍य नहीं होगा. 


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इसके पीछे वजह है इस चंद्रग्रहण का उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण होना. इसमें चंद्रमा कुछ धूमिल सा नजर आता है. इस ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है. लिहाजा इसका सूतक काल भी मान्‍य नहीं होगा. ज्‍योतिष में उसी ग्रहण को पूर्ण ग्रहण मानकर उसका सूतक काल माना जाता है, जिसमें ग्रहण साफ नजर आए. 


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चंद्रगहण (Lunar Eclipse) 3 घंटे 18 मिनट का होगा. यह चंद्रग्रहण 5 जून को रात 11:15 बजे से शुरू होगा. रात 12:54 बजे इसका सबसे ज्यादा असर दिखाई देगा और 6 जून 02:34 बजे समाप्त हो जाएगा. 


इस चंद्र ग्रहण को भारत (India) के अलावा यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी देखा जा सकेगा. 


वैसे ज्‍योतिष के मुताबिक, ग्रहण के दौरान कई चीजों को निषिद्ध माना गया है. इसमें ग्रहण के दौरान खाना-पीना, शुभ कार्य करना, भगवान की पूजा-आरती करना निषेध है. इस दौरान गर्भवती महिलाओं को भी घर से बाहर न निकलने के लिए कहा गया है. 


माना जाता है कि ग्रहण के दौरान पका हुआ भोजन अशुद्ध हो जाता है, लिहाजा उस भोजन को न करने की सलाह दी जाती है या भोजन की शुद्धता बनाए रखने के लिए उसमें तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं. 


धर्म के लिहाज से देखें तो ज्योतिष गणना बताती है कि इस प्रकार के उपग्रह यानी उपच्छाया में चंद्रमा का बिंब पर मलिन छाया आने के कारण उन्हें ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा गया है. हर एक इस तरह की घटना घटित होने के पहले और बाद में भी चंद्रमा को पृथ्वी की उपच्छाया से गुजरना पड़ता है जिसे ग्रहण की संज्ञा नहीं दी जा सकती.


पंडित सकला नंद बलोदी कहते हैं कि संवत 2077 में पृथ्वी पर केवल दो सूर्यग्रहण होंगे, और कोई चंद्रग्रहण नहीं होगा जो 5 जून की रात में होने वाला है वह उपछाया ग्रहण कहा जा सकता है लेकिन धार्मिक मान्यता नहीं है.