Ujjain Shiv Navratri : उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बड़े ही धूमधाम से महाशिवरात्री बनाई जाती है. इस दौरान भगवान शिव के नौ अलग-अलग रूपों के दर्शन करने को मिलते हैं. शिव नवरात्रि का यह पर्व 28 फरवरी से शुरू होगा जो महाशिवरात्री यानी कि 8 मार्च के दिन खत्म होगा. बता दें कि 28 फरवरी से ही भगवान शिव के श्रृंगार का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा.  9 अलग-अलग दिनों में महाकाल को देश और दुनिया से भक्तों द्वारा भेजे गए अलग-अलग वस्तुओं से महाकाल को सजाया जाएगा. आइए विस्तार में उज्जैन में मनाए जाने वाले महाशिवरात्रि के पर्व के बारे में जानें.


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9 दिनों तक चलता है महादेव का ऋंगार 


पहले दिन महाकालेश्वर में महाकाल को वस्त्र धारण कराया जाएगा. दूसरे दिन शेषनाथ का अर्पण होगा. तीसरे दिन घटाटोप और चौथे दिन छबीना. पांचवे दिन होल्कर, छठे दिन मनमहेश, सातवें दिन उमा महेश, आठवें दिन शिव तांडव और नौवें दिन निराकार.


शिव नवरात्रि के आखिरी दिन सजता है महादेव का सेहरा


बतादें कि 8 मार्च यानी कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव भक्तों को दूल्हे के रूप में दर्शन देंगे. इस दिन भगवान शिव को सप्तधान रूप में श्रृंगार कर फल और फूलों से बना सेहरा बांधा जाता है. जिसके बाद उन्हें सोने के आभूषण पहनाए जाएंगे और उसके बाद भस्म आरती होगी.


भस्म आरती का शुभ दिन


महाकालेश्वर में साल में मात्र एक ही दिन भस्म आरती दिन में होती है.  महाशिवरात्रि के अगले दिन महाकाल की शादी का कार्यक्रम किया जाता है. इसी दिन महाकाल का सेहरा लूटाया जाता है और फिर दोपहर के समय में भस्म आरती की जाती है. भक्तों को अगर इस भस्म आरती में शामिल होना है तो दोपहर 12 से 2 बजे के बीच में जा सकते हैं. भस्म आरती के दौरान महाकाल निराकार और साकार रूप धारण करते हैं.


सेहरा लूटने के लिए लगती है भीड़ 


महाशिवरात्रि पर भस्म आरती से पहले महाकाल के सेहरा लूटने की परंपरा है. जिसके लिए यहां पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. मान्यता है कि महाकाल के सेहरा में जो भी फल और धान लगे रहते हैं. यदि इन चीजों को भक्त अपने घर पर रखते हैं तो धन वर्षा के साथ मां अन्नपूर्णा का भी आशीर्वाद बना रहता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)