Mahabharat Story: जरा सोचिए कि अगर कोई आपको श्राप दे और वह श्राप आपके लिए शुभ हो तो कैसा होगा. कुछ ऐसा ही हुआ था महाभारत काल में अर्जुन के लिए. अर्जुन को स्वर्गलोक की सबसे सुंदर अप्सरा उर्वशी ने श्राप दिया था. वो भी किन्नर बन जाने का. लेकिन, यही श्राप अर्जुन के लिए आगे चलकर आशीर्वाद में तब्दील हो गया. उर्वशी के श्राप से अर्जुन ने न सिर्फ अपनी पहचान छुपाई बल्कि वह श्राप अज्ञातवास के दौरान जिंदा रहने का आधार बना.


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इंद्रदेव से मिला था दिव्यास्त्र


दरअसल, हुआ कुछ यूं कि दिव्य अस्त्र-शस्त्र पाने की चाहत में अर्जुन ने देवताओं के राजा इंद्र का रुख किया. वहां, पहुंचकर अर्जुन ने इंद्र देव की आराधना की. अर्जुन के आराधना से इंद्र देव खुश हो गए और बदले में आशीर्वाद मांगने की बात कही. जिसके बाद इंद्र देव ने अर्जुन को ढेर सारे दिव्यास्त्र प्रदान किए.


उर्वशी की प्रेम निवेदन को अर्जुन की ना


लेकिन इसी बीच एक असाधारण घटना घटी. इस घटना ने अर्जुन को भी चौंका दिया. वह खुद नहीं समझ पाए कि आखिर यह कैसे और क्यों हुआ. स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा अर्जुन पर मोहित हो गई. वह चाहती थी कि अर्जुन उसके प्रेम निवेदन सुनें. लेकिन अर्जुन ने ऐसा करने से मना कर दिया.


अर्जुन को दी किन्नर होने का श्राप


अर्जुन की ओर से ना सुनने के बाद उर्वशी अपना आपा खो बैठी. उन्होंने अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दे दिया. श्राप मिलते ही अर्जुन खुद अचंभित हो गए. उन्हें समझ में ही नहीं आया कि आखिर अब क्या होगा. लेकिन बाद में अर्जुन ने इस श्राप का निदान भी इंद्र देव से पूछ लिया.


किन्नर के रुप में अर्जुन का जीवन


इंद्र देव की ओर से श्राप की काट जानकर और दिव्य अस्त्र-शस्त्र लेकर अर्जुन दोबारा पृथ्वी पर लौट आए. जिसके बाद अज्ञातवास के दौरान उन्होंने किन्नर बृहन्नला के रूप में विराट नगर के राजा विराट के यहां रहकर एक साल तक उनकी बेटी को नृत्य सिखाया. यही कारण था कि अज्ञातवास में दुर्योधन और उसके राज्य के गुप्तचर पांडवों को खोज नहीं पाए थे. इसी कारण कहा जाता है कि उर्वशी का श्राप अर्जुन को लाभ पहुंचा गया.  


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)