Malmas 2023: हिंदी पंचांग के अनुसार इस साल 12 की बजाय 13 महीने होंगे. सावन में अधिकमास या मलमास पड़ने के कारण ऐसा होगा. मलमास को पुरुषोत्‍तम मास भी कहते हैं क्‍योंकि यह महीना भगवान विष्‍णु को समर्पित होता है. सावन माह में मलमास लगने की वजह से इस बार सावन 2 महीने का होगा. हिंदू धर्म में मलमास का विशेष महत्व है क्योंकि इस माह में की गई पूजा-अर्चना का फल ज्‍यादा मिलता है. साथ ही माना जाता है कि पुरुषोत्‍तम मास में भगवान विष्‍णु की पूजा करने से अक्षय पुण्‍य और मोक्ष मिलता है. मलमास को लेकर हिंदू धर्म में कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना चाहिए. 


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3 साल में एक बार पड़ता है मलमास 


मलमास या अधिकमास 3 साल में एक बार आता है. दरअसल हिंदी कैलेंडर में गणनाएं सौर और चंद्र मास के आधार पर होती हैं, जिससे हर साल 11 दिनों का अंतर आ जाता है. इस अंतर को समायोजित करने के लिए ही हर 3 साल में एक महीना अधिक पड़ता है, इसे ही अधिकमास कहते हैं. सावन मास में अधिकमास या मलमास पड़ने का संयोग 19 वर्षों बाद लग रहा है.


मलमास में पालन करें ये नियम 


- मलमास में ज्‍यादा से ज्‍यादा समय धार्मिक अनुष्ठान और पूजा अर्चना में लगाना चाहिए इसलिए ये बहुत जरूरी है कि इस दौरान शुद्ध और सात्विक भोजन किया जाए. साथ ही आचरण भी ऐसा ही हो. मलमास में एक समय भोजन करना अच्‍छा रहता है. 


- अधिकमास में तिल, चना, मूंगफली, चावल, मटर, ककड़ी, आम, पीपल, जीरा, सुपारी, सेंधा नमक, कटहल, गेहूं, सफेद धान, मूंग, घी, धनिया, मिर्च आदि का सेवन करना चाहिए. 


-  कोशिश करें कि मलमाल की प्रमुख या महत्‍वपूर्ण तिथियों में उपवास करें. 


- मलमास में लहसुन-प्याज, मांस मदिरा, अंडे, नशीले पदार्थ, मछली, बासी भोजन, शहद, चावल का मांड, मूंग दाल, मसूर दाल, उड़द दाल, साग-सब्जी, तिल का तेल, राई, गोभी (फूल और पत्ता गोभी) आदि का सेवन बिल्‍कुल ना करें. ऐसा करना पाप का भागीदार बनाता है और सेहत भी खराब करता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)