Mahakal Ujjain: सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना गया है ये ज्योतिर्लिंग, चिता की राख से होती है पूजा
Mahakal Ujjain Bhasma Aarti : भगवान शिव 12 ज्योतिर्लिंगों में ज्योति के रूप में विराजमान हैं. इसमें एक ज्योतिर्लिंग को बहुत ताकतवर माना गया है. ये है महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन.
Mahakaleshwar Mandir ka Rahasya: मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है. साथ ही इसे सबसे ज्यादा ताकतवर ज्योतिर्लिंग माना गया है. भगवान शिव को समर्पित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. स्वयंभू से मतलब है जो स्वयं बना हो या प्रकट हुआ है. शिव पुराण से लेकर कई पौराणिक ग्रंथों में महाकालेश्वर मंदिर का वर्णन मिलता है. कालों के काल बाबा महाकाल के दर्शन करने और अपने सारे पाप, दुख-दर्द से निजात पाने के लिए देश-दुनिया से लोग महाकालेश्वर मंदिर में आते हैं. साथ ही महाकाल मंदिर की भस्म आरती विश्वप्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए लोग आधी रात से यहां लाइन में लग जाते हैं.
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ऐसे हुई थी महाकाल की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार, उज्जैन में महाकाल के प्रकट होने से जुड़ी एक कथा है. यहां दूषण नाम का असुर था जिसने पूरे प्रांत के लोगों को बहुत दुखी कर रखा था. फिर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने दूषण का वध किया. इसके बाद भक्तों ने शिवजी से उज्जैन में ही वास करने की प्रार्थना की तो भगवान शिव महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए. तब से ही इस नगर की रक्षा स्वयं शिव जी कर रहे हैं.
भस्म आरती
उज्जैन के महाकाल के भस्म आरती की बहुत मान्यता है. माना जाता है कि जो व्यक्ति भस्म आरती में शामिल हो जाए उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इस भस्म आरती की खास बात यह है कि यह आरती श्मशान घाट से मुर्दों को जलाने से निकली चिता की राख से की जाती है. भगवान शिवजी श्मशान के साधक हैं और इस कारण भस्म को उनका श्रृंगार-आभूषण माना जाता है. लिहाजा रोजाना सुबह महाकाल में पहली आरती भस्म से ही होती है.
हालांकि अब कुछ समय कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर भस्म बनाई जाती है और इस से महाकाल की आरती की जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)