Nag Devta Puja Upay: मां लक्ष्‍मी की कृपा चाहते हैं तो नाग देवता को प्रसन्‍न रखना बहुत जरूरी है क्‍योंकि नाग देवता ही धन की रक्षा करते हैं. इसलिए खजानों के साथ नाग मिलने की कई कथाएं प्रचलित हैं. ज्‍योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी कहते हैं कि जिन लोगों ने नाग की पूजा की उनके पास कभी धन की कमी नहीं हुई. नाग उपासकों पर मां लक्ष्‍मी की कृपा हमेशा बरसती है. कई राजा-महाराजा ऐसे हुए हैं जिन्‍होंने नाग मंदिर बनाए और उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी उनके यहां नाग उपासना की परंपरा रही है. 


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नाग की नाराजगी कर देती है बर्बाद 


वहीं नाग देवता की नाराजगी जीवन बर्बाद कर देती है. ऐसे जातक पूरी जिंदगी पैसों की तंगी झेलते हैं और विरासत में मिली संपत्ति तक नष्‍ट कर बैठते हैं. क्‍योंकि नाग की नाराजगी उन पर धन की देवी मां लक्ष्‍मी की कृपा नहीं होने देती हैं. ऐसे में जरूरी है कि नाग देवता की नाराजगी का असर पहचानकर उसे दूर करने के उपाय कर लिए जाएं. 


नाग देवता की नाराजगी के लक्षण 


यदि कोई व्‍यक्ति अपने जीवनकाल में या पिछले जन्‍म में नाग को नुकसान पहुंचाता है तो उससे नाग देव नाराज हो जाते हैं. वहीं कुंडली में यह स्थिति काल सर्प दोष के तौर पर सामने आती है. पंडित शशिशेखर त्रिपाठी कहते हैं कि यदि कड़ी मेहनत के बाद भी पैसा की तंगी खत्‍म नहीं हो रही हो. घर की बनी बनाई संपत्ति बर्बाद हो रही हो, व्‍यक्ति गरीब होता जाए तो इसके पीछे नाग देवता की नाराजगी वजह हो सकती है. इसके अलावा नाग देव यदि रूठ जाएं तो व्‍यक्ति के शरीर में टॉक्सिंस की मात्रा बढ़ जाती है. परिवार के लोग बार-बार फूड पॉइजनिंग के शिकार हो जाते हैं. उन्‍हें जख्‍म पकते हैं और ठीक होने का नाम नहीं लेते हैं. सर्प दंश का शिकार हो सकते हैं, घर में बार-बार सांप निकलने लगते हैं या सपने में अक्‍सर सांप दिखाई देते हैं. नाग की नाराजगी कैंसर तक का कारण बन सकती है क्‍योंकि कैंसर राहु के कुप्रभाव के कारण होता है और राहु नाग का फन हैं. 


नाग देव की कृपा पाने के उपाय 


नाग देव की भाव पूजा करना सबसे उत्‍तम माना गया है. इसके लिए नवनाग मंत्र का जाप करें. इस मंत्र को जब 9 बार पढ़ा जाता है, तब उसकी गिनती एक मानी जाती है क्‍योंकि एक बार नवनाग मंत्र पढ़ना एक नाग देवता की आराधना करना है. नाग पंचमी के दिन नवनाग मंत्र का जाप जरूर करें.   


नवनाग मंत्र - 


अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं।
शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनम्।
सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः।।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।


इसके अलावा सर्पाकार आकार वाली चीजें जैसे मैगी, नूडल्‍स न खाएं. चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करें. कभी भी नाग को चोट न पहुंचाएं, ना ही सताएं. चंदन की चीजों जैसे साबुन, इत्र आदि का उपयोग करने से नाग की नाराजगी का असर कम होता है. नाग देवता की आराधना करने के बाद उनसे माफी मांगें कि यदि पिछले जन्‍म में भी नाग देवता को नुकसान पहुंचाने की गलती हुई हो तो माफ करें.  


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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