Papamochani Ekadashi 2024: चैत्र शुक्ल एकादशी का व्रत पूजा करने वाले को पापों से मुक्ति मिलती है इसीलिए इसे पाप मोचनी एकादशी कहा जाता है. स वर्ष  पांच अप्रैल शुक्रवार को पाप मोचनी एकादशी का पर्व मनाया जाएगा. धर्मशास्त्रों में इस व्रत को 80 बरस तक करने के नियम बताया हैं, किंतु शारीरिक स्थिति देख कर पहले भी उद्यापन किया जा सकता है. 


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पूजा विधि
इस व्रत का प्रारंभ दशमी तिथि की रात्रि से ही शुरु हो जाता है, रात्रि में सोने के पहले एकादशी व्रत का स्मरण करें और फिर अगले दिन सूर्योदय से पहले जागने के पश्चात स्नानादि पूरा करने के बाद एकादशी व्रत का संकल्प लेते हुए विधि पूर्वक श्री विष्णु हरि का पूजन करें. सुगंधित पुष्पों, धूप दीप और नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद दिन भर और रात्रि में भी विष्णु स्तोत्र का पाठ भजन कीर्तन आदि करें और फिर द्वादशी की प्रातः पूजन करने के साथ दान आदि करने से व्रत की पूर्णता होती है. 


 


पाप मोचनी एकादशी व्रत की कथा


एक बार चित्ररथ वन में देवराज इंद्र गंधर्वों और अप्सराओं के साथ विहार कर रहे थे. उस वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि भी तपस्या कर रहे थे. मंजुघोषा नाम की अप्सरा ने उन्हें अपने प्रेम में मोहित कर लिया और कई बरस उनके साथ व्यतीत किए. एक दिन मंजुघोषा वापस जाने लगी तो मेधावी ऋषि को अपनी तपस्या भंग होने का अहसास हुआ. उन्होंने अप्सरा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया किंतु मंजुघोषा की अनुनय विनय करने पर उसे चैत्र कृष्ण एकादशी को विधि-विधान से व्रत करने का उपाय बताते हुए कहा कि इससे उसका पाप खत्म हो जाएगा और वह पुनः अपने रूप को प्राप्त कर लेगी. इतना कहने के बाद मेधावी ऋषि अपने पिता ऋषि च्यवन के पास पहुंचे और पूरी बात बतायी. इस पर उन्होंने कहा कि पुत्र यह तुमने ठीक नहीं किया है. तुमने अप्सरा को श्राप देकर पाप कमाया है, अब तुम भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करोगे तो इस पाप से मुक्ति मिलेगी.


 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)