बहुत कुछ सिखाते हैं देवी-देवताओं के वाहन, जानें किस वाहन से क्या सीख मिलती है

Devtao ke Vahan: सभी भक्त देवी देवताओं की प्रतिमा के सामने शीष झुका कर उनके प्रति अपनी भावना तो व्यक्त करते हैं किंतु कभी भी इन देवी देवताओं के वाहनों से मिलने वाली सीख की ओर ध्यान नहीं देते हैं. आज कुछ ऐसे ही भगवान के वाहनों पर दृष्टि डालेंगे की वह कैसे जनमानस को सीख दे सकते हैं.

शिल्पा राना Wed, 17 Jan 2024-4:45 pm,
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भगवान गणेश

देवताओं में प्रथम पूज्य गणपति का वाहन मूषक है, जबकि गणेश जी विशाल उदर (पेट)  वाले हैं. उनका वाहन मूषक यानी चूहा लोगों को सिखाता है कि किसी भी कार्य की प्लानिंग सोच समझ कर ही करनी चाहिए ताकि वह निर्विघ्न पूरा हो सके.

 

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मां दुर्गा

माता दुर्गा के मंदिर में आप शेर पर सवार माता को देखते हैं. माता दुर्गा ने शेर के वाहन को यूं ही नहीं चुना है बल्कि उन्होंने बहुत ही सोच-समझ कर इसका चयन किया होगा. वाहन शेर है जो खुद पर भरोसा करना सिखाता है. जब तक आप खुद पर भरोसा नहीं करेंगे तो कोई भी कार्य कैसे पूरा कर सकेंगे.

 

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मां शारदा

इसी तरह मां शारदा जिन्हें मां सरस्वती और ज्ञानदायिनी हंस वाहिनी भी कहा जाता है. हंसवाहिनी नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि उनका वाहन हंस है. हंस हमें धैर्य और शांति का संदेश देता है, कि किसी भी कार्य को धैर्य और शांति के साथ ही करना चाहिए.

 

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भगवान कार्तिकेय

भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर हमें सिखाता है, कि मन सुंदर तो तन भी सुंदर ही होना चाहिए.

 

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मां लक्ष्मी

धन और वैभव की देवी लक्ष्मी जी हैं, लेकिन उनका वाहन उल्लू है. उल्लू हमें भविष्य के प्रति सजग रहना सिखाता है. उल्लू की नजर बहुत ही पैनी होती है. यह बहुत ही समझदार जीव है और चीजों को समझने की क्षमता रखता है.

 

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भगवान शिव

नंदी यानी बैल भगवान भोलेनाथ के वाहन हैं, शिव मंदिरों में भगवान शिवलिंग के साथ ही इनका रहना स्वाभाविक है. नंदी हमेशा शिव जी के साथ ही विराजमान रहते हैं वह सिखाते हैं कि मोह माया का त्याग करना चाहिए, उसमें लिप्त नहीं होना है.

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