Pitra Paksha 2022: पितरों के नाराज होने का संकेत देती हैं घर में घटने वाली ये घटनाएं, यूं करें प्रसन्न
Angry Pitra Indications: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. 10 सितंबर 2022 से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है. इन 15 दिनों पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, धर्म-कर्म और दान आदि किया जाता है ताकि पितरों को तृप्त कर उनका आशीर्वाद पाया जा सके. लेकिन अगर वंशज पितरों का सम्मान न करें या तिरस्करा करें, तो पितर नाराज हो जाते हैं और अशुभ फलों की प्राप्ति होती है. आज हम आपको ऐसे कुछ संकेतों के बारे में बातएंगे, जो पितरों के नाराज होने का संकेत देते हैं.
संतान सुख में बाधा होना- नाराज पितर वंशजों को कई तरह के संकेत देते हैं. जीवन में कई तरह की घटनाएं घटने लगती हैं. अगर पितर नाराज होते हैं, तो संतान सुख में बाधा आती है. इतना ही नहीं, किसी को संतान होती भी है, तो वह आपके विरोधी रहेगी. आपको कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ेगा.
गृहक्लेश- पितृ दोष के कारण अक्सर व्यक्ति को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पितृ दोष घर में लड़ाई-झगड़े का कारण बनता है. घर का सुख-चैन खो जाता है और व्यक्ति शांति की तलाश में इधर से उधर भटकता है.
विवाह में बाधा होना- पितरों के नाराज होने से वंशजों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसमें विवाह में बाधा उत्पन्न होना भी एक संकेत. अगर किसी जातक के विवाह में बार-बार कोई अड़चन आ रही है, या फिर रुकावट पैदा हो रही है, तो ये पितरों के नाराज होने का संकेत हो सकता है. पितरों के नाराज होने से वैवाहित जीवन में भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान विधिपूर्व पितरों का श्राद्ध करें.
काम में बाधा- किसी भी जातक के किसी कार्य में बार-बार बाधा उत्पन्न होना या फिर किसी काम में सफलता न मिलना भी पितरों के नाराज होने या फिर पितृदोष का लक्ष्ण है. ऐसे में पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान, तर्पण आदि किया जाता है.
अचानक से नुकसान हो जाना- नाराज पितर व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियां खड़ी करते हैं. अगर पितृ नाराज हैं, तो व्यक्ति को जीवन में आक्समिक नुकसान का सामना करना पड़ता है. वहीं, व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी खराब होती जाती है.
पितृदोष के उपाय- अगर आप को भी नाराज पितरों के संकेत मिल रहे हैं, तो ऐसे में पितृपक्ष के दौरान पिंडदान क रें. गौ दान करें. वहीं पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करने चाहिए. साथ ही, कौवों को भोजन आदि कराएं.