Pitru Dosh: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष, पितरों को याद करने का विशेष पर्व है. इस साल 29 सितंबर, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा तिथि से आरंभ हो रहा है. इस दौरान हिंदू परंपरा अनुसार पूर्वजों को याद और उनको तृप्त करने के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. इससे खुश होकर अपने वंश को पितर आशीर्वाद सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. ज्योतिष शास्त्र के महान ग्रंथ वृहत पाराशरी में कुल 14 प्रकार के श्राप बताए गए हैं जिसमें पितृ शाप के कारण बनने वाला पितृ दोष सबसे पहला है. कुंडली में यह दोष होने से संतान सुख मिलना मुश्किल हो जाता है. किसी को पुत्र की प्राप्ति नहीं होती तो किसी का मेहनत से कमाया हुआ धन यूं ही बर्बाद हो जाता है. पितृदोष की जानकारी मिलने के बाद उसका उपाय करना चाहिए और टालना नहीं चाहिए नहीं तो संकट बढ़ते ही जाते हैं.


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पितृदोष के प्रभाव
पितृदोष के परिणाम स्वरूप परिवार में मांगलिक कार्यों, बच्चों के विवाह आदि में सब कुछ ठीक होने के बाद भी देरी होती है. शरीर की जांच कराने में भले ही कोई तकलीफ न निकले लेकिन शरीर में बिना वजह का दर्द और भारीपन रहता है. इस दोष के प्रभाव से किसी को व्यवसाय में अपयश मिलता है और विचार नास्तिक होते हैं. लगातार मुश्किलें आती रहती हैं वह व्यक्ति यह कहने लगता है कि परेशानियां थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं. कर्ज का बोझ बढ़ता जाता है, घर में कोई न कोई बीमार बना रहता है. परिवार में बने-बनाए काम अंतिम समय पर बिगड़ जाते हैं. घर में शुभ कार्यों में ऐन वक्त पर कोई न कोई अड़ंगा लग जाता है. परेशानियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाती है कि व्यक्ति दीन हीन हो कर इधर उधर भटकता रहता है.  


पितृ दोष का कारण
एक बात अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि पितृ दोष पितरों को रुष्ट होने के कारण बनता है. यह दोष इतना अधिक भारी होता है कि यदि उस व्यक्ति की कुंडली में राजयोग हो तो भी उसका लाभ नहीं मिल पाता है. यदि आपकी कुंडली में भी पितृ दोष है तो आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा यानी 29 सितंबर से शुरु हो रहे पितृपक्ष में सारे जरूरी काम छोड़कर केवल पितरों को प्रसन्न करने में जुट जाना चाहिए.