Pitru Paksha: पसंद की चीज दान करने से प्रसन्न होते हैं पितर, मगर इन बातों का जरूर रखें ध्यान
Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में पितरों की पसंद की वस्तुओं का ही दान करना चाहिए. इससे पितर प्रसन्न होते हैं. एक बात याद रखें कि पसंद सकारात्मक होनी चाहिए न कि आशक्ति.
Pitru Paksha Significance: पितृपक्ष शब्द सुनते या पढ़ते ही मन में पूर्वजों का चित्र और उनकी स्मृतियां तुरंत ही ध्यान आ जाती हैं और इसके साथ ही उनके प्रति श्रद्धा भी उत्पन्न होती है. पितृपक्ष एक ऐसा अवसर है, जिसमें नई पीढ़ी को अपने ज्ञात पूर्वजों के बारे में बताना चाहिए, साथ ही उनसे जुड़ी हुई घटनाओं का भी सजीव चित्रण करने का प्रयास करना चाहिए. हालात ऐसे हो गए हैं कि आज की नई पीढ़ी को अपने माता-पिता के अलावा बाबा तक का नाम अकसर मालूम नहीं होता है. हमेशा न सही, लेकिन साल के 15 दिनों में ही कभी आप अपने पूर्वजों के बारे में नई पीढ़ी को बता सकें या आपको नहीं मालूम है तो पता कर सकें तो यह भी एक प्रकार का पितरों को प्रणाम है. इसको अपने ऊपर लेकर सोचना चाहिए कि हम रात-दिन बच्चों के भविष्य के लिए मेहनत कर रहे हैं, लेकिन यदि आपका पौत्र आपका अभिवादन तक नहीं करता हो तो आत्मा को बहुत कष्ट होगा.
श्राद्ध तर्पण से पूज्यों की भी हो जाती है पूजा
कहावत है कि मूलधन से ब्याज प्यारा होता है. यानी बेटे से ज्यादा पौत्र-पौत्री प्यारे और दुलारे होते हैं. जैसे बड़े-बुजुर्गों की हम लोगों पर स्नेह दृष्टि होती है, उसी प्रकार पूर्वजों का कीर्ति शरीर भी हम लोगों पर दृष्टि रखता है, इसलिए उनके जीवन में किए गए संघर्ष और उपलब्धियों से वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराना उनका सच्चा सम्मान हैं. यह मानसिक श्राद्ध भी है, इसी से वह तृप्त भी होंगे. बेमन और दिखावे में किए गए श्राद्ध का कोई फल नहीं मिलता है. भीष्म पितामह का श्राद्ध पांडवों ने किया था. वाराहपुराण, सुमन्तु, यम-स्मृति, ब्रह्मपुराण धर्म शास्त्रों में श्राद्ध की महत्ता बताई गई है. वाराहपुराण में कहा गया है कि श्राद्ध तर्पण से जगत के पूज्यों की भी पूजा हो जाती है. सुमन्तु ने श्राद्ध कर्म को सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा गया है. यम-स्मृति में कहा गया है, जो श्राद्ध करता है अथवा उसकी सलाह देता है, उन सभी को श्राद्ध का फल मिलता है.
किस दिन करें श्राद्ध कर्म
दो-तीन पीढ़ी ऊपर के पूर्वजों को तो सभी जानते हैं, क्योंकि वह आपसे जुड़े भी रहे हैं. उनका श्राद्ध देह त्याग की तिथि को ही करना चाहिए, किंतु जिन पूर्वजों की तिथि के बारे में नहीं पता है, उनका श्राद्ध अमावस्या को करना शास्त्रों में बताया गया है.
शीघ्र उपयोग में आने वाली वस्तुएं ही दान में दें
श्राद्ध में ध्यान देने वाली बात यह है कि जिस व्यक्ति विशेष के लिए जो वस्तुएं आप खरीद रहे हों या दान रूप में दे रहे हों, वह उनके शीघ्र ही काम आने वाली हों. ऐसा न हो कि आप जिन वस्तुओं पर धन खर्च करें, वह वस्तुएं लंबे समय तक बिना काम के पड़ी रहें. जिसका श्राद्ध करें, उनकी पसंद की चीजें ही दान करें. पसंद में एक बात याद रखें कि पसंद सकारात्मक होनी चाहिए न कि आशक्ति. ऐसी भूल कभी भी न करें. यदि दादा जी को शराब पसंद थी तो उनको प्रसन्न करने के लिए शराब पीने और पिलाने लगें.
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