Pitru Paksha Significance: ज्योतिष शास्त्र में पापों से मुक्ति पाने के कई तरह के उपाय बताए गए हैं, जिनमें दान, धर्म, जाप शामिल हैं, लेकिन महापापों को जब शांत या प्रायश्चित करने की बात आती है तो वहां गऊ दान की महिमा भी बताई गई है. पितृदोष भी एक प्रकार का पाप ही है, जिसका निवारण करना आवश्यक होता है. पितृपक्ष एक ऐसा अवसर है, जिसमें हम आसानी से इस तरह के उपायों को करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं.


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कहते हैं गाय का दान करने से जन्मों-जन्म के पापों का शमन हो जाता है. जो लोग गाय का दान नहीं कर पाते हैं, वह लोग गौ सेवा कर सकते हैं. किसी गौशाला में जाकर चारे-पानी के रूप में अपना सहयोग दे सकते हैं. आधुनिक समय में प्लास्टिक खाने से गायों के बीमार होने की सूचना मिलती है. ऐसे में गायों को प्लास्टिक खाने से रोकना भी गाय की सेवा के समान है, इसलिए सभी लोग खाने-पीने का सामान पॉलीथिन में न फेंककर भी ऐसी सेवा कर सकते हैं. वैसे सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक भी लगा रखी है.


दरवाजे पर आई गाय को समझें भाग्य, दुत्कारें नहीं


दरवाजे पर बैठी गाय को कभी दुत्कारना नहीं चाहिए. सोचना चाहिए कि यह तो भाग्य है जो दरवाजे पर स्वयं ही गाय आई है. गौपालकों को गाय दुहने के बाद कतई नहीं छोड़ना चाहिए. देसी गाय के साथ जुड़े देसी शब्द को लोकल नहीं समझना चाहिए. देसी गाय का दूध और देसी घी बहुत ही दिव्य होता है. इसके उपयोग से बुद्धि का विकास होता है और पैनापन आता है.


सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है गाय


गाय सकारात्मक ऊर्जा का बहुत बड़ा स्रोत होती है. जो लोग डिप्रेशन का शिकार होते हैं, उन्हें गाय के साथ रहना चाहिए, उसके औरा के नजदीक रहने से उन्हें स्वाभाविक रूप से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होगी और डिप्रेशन कम होता जाएगा. शनि राहु और केतु ग्रहों की शांति के लिए चितकबरी और और काली गाय की सेवा करनी चाहिए. सूर्य की शांति के मैरून कलर की गाय की सेवा करने के साथ ही रविवार को भोजन कराएं और गुड़ खिलाएं. पितरों को प्रसन्न करने और पितृदोष के निवारण के लिए नित्य प्रति गाय की सेवा करने के साथ ही उसे रोटी खिलाना चाहिए. 


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