Bhaum Pradosh Vrat 2023: स्कंद पुराण के अनुसार, प्रदोष व्रत शिवजी को प्रसन्न करने और उनका प्रभुत्व प्राप्त करने के लिए किया जाता है. प्रत्येक मास में कृष्ण और शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी के दिन व्रत किया जाता है. भगवान शिव का पूजन और रात्रि के समय भोजन करने के कारण इस व्रत को प्रदोष कहा जाता है. इसका समय सूर्यास्त से दो घड़ी रात बीतने तक होता है. 


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मान्यता है कि जो महिला या पुरुष प्रदोष के समय परमेश्वर शिवजी के चरण कमल में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ शरण लेते हैं तो शिवजी भी उसे धन धान्य, पति पत्नी संतान और परिवार के साथ सुख संपत्ति प्रदान करते हैं. यदि प्रदोष की तिथि मंगलवार को होती है तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस बार यह व्रत मंगलवार 12 सितंबर को पड़ रहा है. 


यदि किसी की कुंडली में मांगलिक दोष है तो उसे दूर करने के लिए भौम प्रदोष का व्रत रखना विशेष फलदायी माना जाता है. मंगलवार का दिन होने के कारण इस दिन किए जाने वाले व्रत से महादेव के साथ ही हनुमत कृपा भी प्राप्त होती है, क्योंकि हनुमान जी भी रुद्रावतार है. 


प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रातः स्नान आदि करने के बाद शिवजी की आराधना तो करनी ही चाहिए. सायंकाल भी सूर्यास्त के समय पुनः स्नान करके शिवजी की मूर्ति के समक्ष पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके हाथ में जल, फल, पुष्प, अक्षत और गंध आदि लेकर शिवजी का पूजन करना चाहिए. उमा महेश्वर के इस भौम प्रदोष व्रत को करने से व्यक्ति किसी भी तरह के कर्ज से छुटकारा पा जाता है. यदि आपको व्यक्ति को घर-परिवार की जरूरतों के लिए कर्ज लेने के बाद उसे चुकता करने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा तो उसे पूरे विधि-विधान से भौम प्रदोष का व्रत करना चाहिए.


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