Ramayan Story of Mata Parwati Janam: योग की अग्नि से खुद को भस्म करने के बाद सती जी का पर्वतराज हिमाचल की पुत्री के रूप में जन्म हुआ. पार्वती जी का जन्म होते ही पर्वत का वातावरण बहुत रमणीय हो गया, श्रेष्ठ मुनियों ने आश्रम बना लिए. नए-नए औषधीय पेड़ निकल आए और मणियों की खानें वहां बन गईं. एक-दूसरे के साथ शत्रु सा व्‍यवहार करने वाले पशु और पक्षी आपस में प्रेम से रहने लगे. 


नारद मुनि पहुंचे पर्वतराज के घर 


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पार्वती जी के जन्म और पर्वत के रमणीय वातावरण की जानकारी पर मिलने पर नारद मुनि भी मिलने पहुंच गए. पर्वतराज ने उनका सम्मान करने के बाद कन्या के गुण-दोष विचार कर बताने का आग्रह किया. नारद मुनि ने रहस्यमय तरीके से मुस्कुराते हुए कहा कि यह कन्या सब गुणों की खान है. यह स्वभाव से ही सुंदर, सुशील और समझदार है. पार्वती, उमा, अंबिका और भवानी इनके नाम हैं.


जगत भर में पूज्‍य होंगी हिमाचल की कन्या


नारद मुनि ने पार्वती जी के बारे में विचार करते हुए कहा कि कन्या सभी गुणों में संपन्न होगी. यह अपने पति को सदा प्यारी होंगी, इनका सुहाग सदैव अचल रहेगा और इससे इनके माता-पिता भी यश प्राप्त करेंगे. यह सारे जगत में पूज्य होंगी और इनकी सेवा करने से कुछ भी दुर्लभ न होगा. संसार की महिलाएं इनके नाम को याद कर पतिव्रत रूपी तलवार पर चढ़ जाएगी. उन्होंने कन्‍या के गुणों की व्याख्या करते हुए कहा कि हे पर्वतराज अब इसमें जो दो चार अवगुण हैं, उन्हें भी सुन लीजिए. इन्हें योगी, जटाधारी, अमंगल वेशधारी और इच्छा रहित हृदय वाला पति प्राप्त होगा. इसके हाथ की रेखा ऐसा ही बता रही हैं.


दुखी हो गए थे पार्वती जी के माता-पिता 


नारद मुनि जब पार्वती जी के गुणों का बखान कर रहे थे तो उनके पिता पर्वतराज हिमाचल और उनकी पत्नी मैना बहुत ही प्रसन्नता का अनुभव कर रही थीं किंतु जैसे ही उन्होंने पार्वती जी के होने वाले पति के बारे में बताया, पति-पत्नी दोनों ही दुखी हो गए जबकि पार्वती जी मन ही मन प्रसन्न हो गईं. नारद जी भी इस रहस्य को नहीं जान सके क्योंकि सबकी बाहरी दशा तो एक जैसी थी किंतु सबके हृदय में अलग-अलग प्रकार के विचार थे. पार्वती जी की सखियां, हिमवान और मैना सभी के नेत्रों में जल भर आया क्योंकि सब जानते थे कि देवर्षि नारद जी के वचन गलत नहीं हो सकते.



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