Ramayan Story in Hindi: अयोध्या के राजसिंहासन पर बैठने के बाद सभी देवताओं और वेदों ने वहां पहुंच कर श्रीराम की स्तुति की. सबके जाने के बाद स्वयं भगवान शिव अयोध्या पहुंचे और श्री रामचंद्र जी को राज सिंहासन पर विराजमान देखकर प्रसन्न हुए. उन्होंने श्री रघुनाथ जी की स्तुति करते हुए कहा कि हे श्री राम, हे रमारमण, हे जन्म मरण का संताप हरने वाले आपकी जय हो. आवागमन के भय से व्याकुल इस सेवक की रक्षा कीजिए. हे अवधपति, हे देवताओं के स्वामी, हे रमापति, मैं आपसे एक ही प्रार्थना करता हूं कि आप मेरी रक्षा कीजिए. हे दस सिर और बीस भुजाओं वाले रावण का विनाश करके पृथ्वी को हर तरह के कष्टों से दूर करने वाले श्रीराम जी मैं आपको प्रणाम करता हूं.


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श्रीराम के बाण की अग्नि से पतंग रूपी राक्षस भस्म हो गए


शिवजी ने आगे कहा कि हे श्री राम आपके बाण की प्रचंड अग्नि से पतंग रूपी राक्षस भस्म हो गए. आप पृथ्वी के सबसे सुंदर आभूषण हैं. आप श्रेष्ठ बाण, धनुष और तरकस धारण किए हुए हैं, जो जीव आपके चरणों में प्रेम नहीं करते हैं, वे ही अथाव भवसागर में पड़े हैं, जिन्हें आपके चरणों में प्रीति नहीं है, वे नित्य ही दीन, उदास और दुखी बने रहते हैं, जिन लोगों को आपकी लीला कथा का आधार है, उनको संत और भगवान सदा प्रिय लगते हैं. हे मुनियों के मनरूप कमल के भौंरे, हे महान रणधीर और अजेय श्री रघुवीर जी, मैं आपकी ही शरण ग्रहण करते हुए आपको ही भजता हूं. हे हरि मैं आपका नाम जपता हूं और आपको बार-बार नमस्कार करता हूं.


श्रीराम के गुणों का वर्णन कर शिवजी कैलाश चले गए


शिवजी ने कहा आप गुणशील और कृपा के परम स्थान हैं. आप लक्ष्मी पति हैं. आप जन्म-मरण, सुख-दुख, राग-द्वेष, द्वंद समूहों का नाश करिए. हे पृथ्वी का पालन करने वाले राजन, आप इस दीन व्यक्ति की ओर भी अपनी कृपा दृष्टि डालिए. मैं आपसे बार-बार यही वरदान मांगता हूं कि मुझे आपके चरणों की अचल भक्ति और आपके भक्तों का सत्संग सदैव ही प्राप्त हो. इस तरह से श्रीराम के गुणों की स्तुति कर उमापति महादेव हर्षित हो कर कैलाश को चले गए.


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