Ram Navami 2023: नवरात्रि की नवमी तिथि क्यों है महत्वपूर्ण? जानें राम के जन्म पर क्या बोली मां कौशल्या
Chaitra Navratri: प्रभु श्रीराम के जन्म के समय शीतल, मंद और सुगंधित पवन बह रही थी. देवता हर्षित थे और संत भी मन से प्रसन्न थे. उचित समय पर सभी देवताओं के साथ ब्रह्मा जी भी अपने अपने विमानों से अयोध्या पहुंचे, जिसके कारण वहां का निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया.
Chaitra Navratri 2023: ब्रह्मांड में सभी ग्रह अपनी अपनी गति से विचरण करते हुए विभिन्न राशियों में आते जाते रहते हैं. उनका यह राशि परिवर्तन कभी किसी राशि वालों के लिए शुभ तो कभी अशुभ रहता है, किंतु संयोग देखिए कि जब माता कौशल्या के गर्भ से प्रभु श्री राम का जन्म हुआ तो योग, लगन, ग्रह, वार और तिथि सब अनुकूल हो गए. यहां तक कि सभी जड़ और चेतन भी प्रसन्न हो गए. इस बार रामनवमी 30 अप्रैल को होगी.
राम चरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं, “नौमी तिथि मधु मास पुनीता सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता, मध्य दिवस अति सीत न घामा पावन काल लोक बिश्रामा” अर्थात चैत्र के महीने में नवमी तिथि थी, शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजीत मुहूर्त था. दोपहर का समय था और न ही बहुत सर्दी थी और न ही गर्मी. यह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था.
प्रभु श्रीराम के जन्म के समय शीतल, मंद और सुगंधित पवन बह रही थी. देवता हर्षित थे और संत भी मन से प्रसन्न थे. उचित समय पर सभी देवताओं के साथ ब्रह्मा जी भी अपने अपने विमानों से अयोध्या पहुंचे, जिसके कारण वहां का निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया. आकाश में नगाड़े बजने लगे और सभी देवताओं ने अपनी तरफ से उन्हें सूक्ष्म रूप में उपहार दिए.
कहते हैं पहले तो चतुर्भुज रूप धारी श्रीराम को देखकर माता कौशल्या भी उनकी स्तुति करने लगीं, फिर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई तो प्रभु मुस्कुराने लगे और पूर्व जन्म की कथा सुनाकर समझाया, जिससे उनके प्रति माता के मन में पुत्र वात्सल्य पैदा हो.
कौशल्या माता को जैसे ही मां होने का आभास हुआ तो वह बोलीं, “माता पुनि बोली सो मति डोली तजहूं तात यह रूपा, कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा, सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होई बालक सुरभूपा, यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा”. गोस्वामी जी लिखते हैं कि जो लोग प्रभु श्रीराम के प्राकट्य चरित्र का जो लोग गान करते हैं, वह भगवान के चरणों में स्थान पाते हैं और इस संसाररूपी कुएं में नहीं गिरते हैं.