Ramadan Mein Khajur Ke Mehatav: इस्लाम धर्म में रमजान माह का विशेष महत्व बताया गया है. इस बार इस पाक माह की शुरुआत 12 मार्च, मंगलवार यानी आज से हो रही है. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और उनकी इबादत करते हुए उनके नाम का रोजा रखते हैं. इस दौरान सूर्योदय से पहले सहरी के समय और सूर्यास्त के बाद इफ्तार के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इसके साथ ही, रोजे के दौरान ये लोग पानी तक नहीं पीते यानी पूरा दिन भूखा-प्यासा रहकर अल्लाह के नाम का स्मरण करते हैं. और सूर्यास्त के बाद इफ्तार के समय पहले खजूर खाकर ही रोजा खोलते हैं और इसके बाद  ही अन्य चीजों का सेवन करते हैं. ऐसे में आज हम जानने वाले हैं कि आखिर खजूर खाकर ही रोजा क्यों खोला जाता है. जानें इसका धार्मिक महत्व और इसका सेहत पर कैसा रहेगा प्रभाव. 


खजूर का क्या है धार्मिक कनेक्शन 


इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार खजूर खाकर रोजा खोलने को सुन्नत माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि हजरत मोहम्मद को खजूर प्रिय थे और वे भी खजूर खाकर ही रोजा खोलते थे. इस्लाम में पैगंबर हजरत मोहम्मद के रास्ते पर चलने को सुन्नत कहा गया है. इसलिए ही रोजा खोलने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग खजूर खाकर ही रोजा खोलते हैं. इसके बाद ही अन्य चीजों का सेवन किया जाता है. 


सेहत पर खजूर का प्रभाव


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खजूर सेहत के लिए फायदेमंद माना गया है. इतना ही नहीं, खजूर पोषण संबंधी लाभ भी प्रदान करता है. ऐसे में व्रत तोड़ने के लिए इनका सेवन एक अच्छा विकल्प साबित होता है. इसके साथ ही, कहते हैं कि खजूर में प्राकृतिक मिठास होती है, जो दिनभर व्रत रखने के बाद एकदम से एनर्जी प्रदान करती है. कहते हैं कि खजूर में ग्लाइसेमिक भी कम होता है. इसलिए शुगर के पेशेंट के लिए इसे फायदेमंद बताया जाता है.


Astro Tips: दीये की जली बत्ती कई मुश्किलों से दे सकती है छुटकारा, फेंकने के बजाय आज ही अपनाएं ये अचूक उपाय
 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)