Ramayan Story of Meeting With Sri Ram & Guru Vashishth: लंका में रावण का वध कर अयोध्या में लौटने पर भाई भरत, शत्रुघ्न और नगर वासियों से मिलने के बाद प्रभु श्री राम अपनी सभी माताओं से प्रेम से मिले और बहुत प्रकार के कोमल वचन कहे किंतु माता कैकेयी के मन का क्षोभ कम नहीं हुआ. माताओं ने उनकी आरती उतारी और फिर माता कौशल्या विचार करने लगीं कि कैसे उन्होंने अपने इन छोटे-छोटे हाथों से महा पराक्रमी लंकाधिपति रावण का वध किया होगा. माता लक्ष्मण जी और सीता जी सहित प्रभु श्री रामचंद्र को निहार रही हैं. गोस्वामी तुलसीदास जी उस दृश्य का वर्णन मानस में लिखते हैं कि माता का मन परमानंद में मग्न है और शरीर बार बार पुलकित हो रहा है. लंकापति विभीषण, वानर राज सुग्रीव, नल, नील, जामवंत और युवराज अंगद तथा हनुमान जी आदि सभी उत्तम स्वभाव वाले वीर वानरों ने मनुष्यों के मनोहर  शरीर धारण कर लिए हैं.


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सभी ने की भरत जी के भाई के लिए प्रेम और त्याग की बड़ाई


लंकापति विभीषण, वानर राज सुग्रीव, नल, नील, जामवंत और युवराज अंगद तथा हनुमान जी आदि आपस में भरत जी का भाई के प्रति प्रेम, सुंदर त्याग का स्वभाव, संकल्प और नियमों की अत्यंत प्रेम से सम्मानपूर्वक बड़ाई कर रहे हैं.  अयोध्या के रहने वालों की प्रेम शील और विनय पूर्ण रीति देखकर वे सभी प्रभु के चरणों में की उनके प्रेम की सराहना कर रहे हैं.



प्रभु श्री राम ने वनवासी मित्रों से गुरुजी का परिचय कराया


इसके  बाद श्री रघुनाथ जी ने अपने इन सभी मित्रों को बुलाया और बताया कि गुरु वशिष्ठ हमारे पूरे कुल के पूज्य हैं, इन्हीं की कृपा से युद्ध में सभी राक्षस मारे गए, इसलिए इनके चरणों में प्रणाम करिए. फिर गुरुजी को संबोधित करते हुए कहा कि हे मुनि सुनिए,  ये सब मेरे सखा हैं, इन्हीं के सहयोग से राक्षसों को मारने में विजय प्राप्त हुई और मेरे हित में अपने प्राणों तक का होम कर दिया. ये संग्राम रूपी समुद्र में मेरे लिए जहाज के समान थे. ये सब मुझे भरत से भी अधिक प्रिय हैं. इतना सुनते ही सब प्रेम और आनंद में मग्न हो गए. फिर सभी ने माता कौशल्या के चरणों में सिर नवाया तो माता ने सभी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि तुम सब मुझे रघुनाथ के समान ही प्रिय हो.



आनंदकंद श्री राम जी अपने महल को चले


सब से मिल कर और सबकी भेंट कराने के बाद प्रभु श्री राम अपने महल की ओर चले तो आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी. नगर भर में स्त्री पुरुष और बच्चे अपने अपने घरों की छतों में चढ़ गए और इस अलौकिक दृश्य और प्रभु श्री राम को देखने लगे. सभी लोगों ने सोने कलशों को मणि रत्न आदि से सजा कर अपने अपने दरवाजे पर रख दिया. सभी लोगों ने मंगल के लिए दरवाजों पर वंदनवार, ध्वजा और पताकाएं लगा दीं. 



(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 


 


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