Ramayan Story: प्रभु राम जब समुद्र पर पुल बनाकर लंका पहुंचे तब उन्होंने सोचा कि क्यों न शत्रु के सेना और किला का जायजा लिया जाए. ऐसा सोचकर उन्होंने विभिषण को अपने पास बुलाया. प्रभु राम ने अपने मन की बात विभीषण को बताई. जिसके बाद विभिषण उन्हें रावण का महल दिखाने के लिए पर्वत की एक चोटी पर ले गए. वहां से विभिषण राम को रावण के सेनपति, किला और किले के द्वार के बारे में बता रहे थे.


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इसी दौरान राम जी के मुख पर एक प्रकाश बार-बार तैरने लगा. प्रभु राम को इस रहस्यमई प्रकाश के बारे में कुछ समझ में नहीं आया. तभी उन्होंने विभीषण जी से इस प्रकाश के बारे में पूछ लिया. प्रभु राम के मन में आए इस सवाल का जवाब देने के लिए उन्होंने रावण की नृत्यशाल की ओर इशारा करते हुए वहां जारी घटनाक्रमों को दिखाया.


जब प्रभु राम ने इस घटना को देखा तो वह अपने भाई लक्ष्मण के साथ अचंभित रह गए. उन्होंने देखा कि दुश्मन रावण के किले के पास आ खड़ा है लेकिन वह चैन से नृत्य-संगीत का मजा लेने में मश्गूल है. तभी वहां मौजूद विभीषण ने इसका कारण बताया. उन्होंने कहा कि लंकापति रावण उस रणनीति पर काम कर रहा है जिससे कि दुश्मन को समझ में न आए और प्रजा के मन में कोई डर न बैठे.


उन्होंने कहा कि दरअसल वह प्रभु राम को दिखाना चाहता है कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे दुश्मन किला को चारो ओर से घेर ले. इसके अलावा नृत्य-संगीत कार्यक्रम करवाते हुए जनता को यह संदेश देना चाहता है कि आपसभी लोग बेफिक्र रहें डरने की कोई बात नहीं.


इतना सुनते ही प्रभु राम ने भ्राता लक्ष्मण को धनुष-बाण लेकर आने को कहा जिसके बाद दिख रहे प्रकाश को लक्ष्य करके उन्होंने रावण के मुकुट और मंदोदरी के कुंडल को काटकर वहीं गिरा दिया. दरअसल प्रभु राम, रावण को यह चेतावनी देने के लिए ऐसा किया था.