श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में विराजमान हैं मां काली, `खाती हैं माखन-मिश्री, बजाती हैं बांसुरी`
mathura: मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों के अलावा रंगेश्वर महादेव का भी मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान शिव और मां काली विराजमान हैं. भक्त मां काली को रंगेश्वरी मैया के नाम से भी पुकारते हैं.
नई दिल्ली (रिया मलिक) : भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के मंदिरों के बारे में तो अपने सुना ही होगा. श्री कृष्ण की नटखट बाल लीलाओं के लिए जाना जाने वाला यह शहर अपने अंदर भक्तों की आस्था को समेटे हुए है. लोग देश-विदेश से मथुरा आते हैं और श्रीकृष्ण की भक्ति में रम जाते हैं.
वे भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का स्मरण करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों के अलावा रंगेश्वर महादेव का भी मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान शिव और मां काली विराजमान हैं. भक्त मां काली को रंगेश्वरी मैया के नाम से भी पुकारते हैं.
कृष्ण काली के नाम से जानते हैं भक्त
मथुरा में स्थित इस रंगेश्वर महादेव मंदिर की खासियत है इस मंदिर में विराजमान मां काली का रूप और पूजा-पाठ का तरीका. यहां रंगेश्वरी मैया (मां काली) की पूजा भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप में होती है. इतना ही नहीं, मां काली को श्रीकृष्ण की तरह ही माखन और मिश्री का भोग लगता है. उन्हें पगड़ी भी पहनाई जाती है.
वह तुलसी डालकर भोग पाती हैं और 'कृष्ण काली' के नाम से जानी जाती हैं.
बेहद खास होता है मां का श्रृंगार
रंगेश्वरी मैया या कृष्ण काली जी का श्रृंगार भी बेहद खास होता है. मां काली के भक्त अशोक गुप्ता के अनुसार कृष्ण स्वरूप काली मां में श्रीकृष्ण की छवि पाई जाती है. मां काली को यहां श्रीकृष्ण के जैसा ही प्रसाद भोग स्वरूप चढ़ाया जाता है. उन्हें कान्हा की तरह ही बांसुरी भी धारण कराई जाती है. मां काली को दुल्हन की तरह सजाया जाता है.
कभी उन्हें फूलों से सजी पोशाक धारण कराई जाती है तो कभी लहंगा-ओढ़नी धारण कराई जाती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मां काली को कान्हा के जैसा सजाया जाता है. मां काली को राधा अष्टमी में राधा का तो कभी भगवान हनुमान के जैसे भी सजाया जाता है.
हर रविवार को होता है अभिषेक
रविवार के दिन रंगेश्वरी मैया के मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. प्रत्येक रविवार को रंगेश्वर महादेव के साथ ही मां काली का भी अभिषेक किया जाता है. मां काली का श्रृंगार किया जाता है. इसे अशोक गुप्ता ही करते हैं. इस दौरान मां काली के दर्शन के लिए भक्त घंटों लाइन में इंतजार करते हैं.
मां काली भक्त लोरी सुनाकर सुलाते हैं
इस मंदिर में देश-दुनिया से भक्त पहुंचते हैं. मान्यता है कि जो इस मंदिर में आकर मां काली और महादेव के दर्शन करता है, वो कभी खाली झोली नहीं जाता. उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. मां को पोशाक चढ़ाने के लिए भक्तों को कई महीनों पहले ही नंबर लगाना पड़ता है. रोजाना रात को मां काली का पूरे विधि विधान से अभिषेक होता है. खास भोग चढ़ाया जाता है. सभी भक्तों द्वारा मां को लोरी सुनाकर सुलाया जाता है.
हर साल मनाते हैं बर्थडे
इस मंदिर में मां काली की प्राण प्रतिष्ठा और मूर्ति स्थापना 1995 में की गई. मंदिर में हर साल मंदिर में जन्मदिन भी मनाया जाता है. इस दौरान दूर दूर से बड़ी संख्या में भक्त मंदिर पहुंचते हैं.
यहां स्थित है रंगेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर मथुरा शहर के बीचोंबीच होलीगेट पर बना हुआ है. इसकी दूरी मथुरा रेलवे जंक्शन से 2.5 km है. वहां रिक्शा, ऑटो, टैक्सी व अन्य साधनों से आसानी से पहुंचा जा सकता है. इस मंदिर की दूरी श्रीकृष्ण जन्मभूमि से महज 1.5 km है. साथ ही इसकी दूरी द्वारकाधीश मंदिर से 1 किमी की है.