Ganpati Vahan Mooshak: देवताओं में प्रथम पूज्य भगवान गणपति के विशालकाय शरीर को देखते हुए जब उनके वाहन पर दृष्टि जाती है तो देख कर आश्चर्य होता है कि बुद्धि के अग्रगण्य देवता, जिनके बड़े पेट के कारण ही उनका नाम लम्बोदर पड़ गया और जिनका गजबदन अर्थात हाथी का शरीर है, ऐसे भारी भरकम देवता का वाहन मात्र छोटा-सा चूहा? यह बात कुछ अटपटी-सी लगती है. कई बार इस विषय को लेकर मन में प्रश्न उठते हैं या धर्मवेत्ताओं से लोग जिज्ञासा शांत करते हैं. 


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गणपति वाहन चूहा ही क्यों
गणपति का वाहन चूहा ही क्यों, यदि किसी पशु को ही वाहन बनाना था तो तेज दौड़ने वाले किसी पशु को भी गणपति जी अपना वाहन बना सकते थे, यह एक स्वाभाविक प्रश्न है जो किसी के भी मन में आता है. आखिर गणेश जी जैसे सबसे बुद्धिमान देवता ने एक मूषक को क्यों अपना वाहन बनाया, जब गणपति उस पर सवार होते हैं तभी बड़ा खराब लगता है जैसे एक मूक पशु का शोषण हो रहा है. इस बात को समझने के पहले कुछ अन्य बातों को समझना होगा. जिस तरह सत्वगुण का प्रतीक गौ माता हैं, रजो गुण का प्रतीक सिंह, तमोगुण का प्रतीक सूर्य है ठीक उसी प्रकार से तर्क का प्रतीक चूहा है. अहर्निंश काट-छांट करना, अच्छी-से-अच्छी वस्तुओं का निष्प्रयोज्य तरीके से कुतर डालना चूहे का स्वभाव है. क्या तर्क को यूं ही स्वतंत्र विचरने देना चाहिए, उस पर तो भारी भरकम बुद्धि वाला अंकुश होना ही चाहिए.


लम्बोदर का मतलब
‘लम्बोदर’ का मतलब बड़े पेट से है, बड़ी-से-बड़ी बात को पचाने वाले गंभीर व धैर्यशाली पुरुष को लम्बोदर कहा जाता है. व्यक्ति तभी गणपति बन सकता है, गणपति अर्थात गणाध्यक्ष यानी मनुष्यों में सबसे श्रेष्ठ सबका लोकप्रिय नेता बन सकता है जो तर्कों को बुद्धि के साथ प्रयोग करे और यह कार्य केवल श्री गणेश जी ही कर सकते हैं. उन्होंने वेद पुराणों के आख्यान लिखे हैं. मूषक वाहन के प्रतीकात्मक रहस्य को समझने के लिए भी सकारात्मक एवं तीक्ष्ण बुद्धि चाहिए.