Shani ने बदली चाल, भयंकर प्रकोप से बचना चाहते हैं तो जरूर करें ये Upaay
शनि का चाल बदलना सभी राशियों पर असर डालता है, लेकिन जिन राशियों पर इसकी साढ़े साती और ढैय्या शुरू होती है उन्हें इस दौरान ज्यादा सावधान रहना होता है.
नई दिल्ली: हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि (Shani) की दशा जरूर आती है. हर तीस साल पर शनि विभिन्न राशियों (Zodiac Signs) में भ्रमण करते हुए फिर से उसी राशि में लौटकर आ जाते हैं जहां से वह चले होते हैं. जब शनि व्यक्ति की राशि से एक राशि पीछे आता है तब साढ़े साती शुरू हो जाती है. इस समय शनि पिछले तीस साल में किए गए कर्मों एवं पूर्व जन्म के संचित कर्मों का फल देता है. जिनकी कुण्डली में शनि प्रतिकूल स्थिति में होता है उन्हें साढ़े साती (Sade Sati) एवं शनि की ढैय्या (Dhaiya) के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ता है. शनि के प्रभाव के कारण इन्हें शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक समस्याओं से गुजरना होता है. आइए, ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू से जानते हैं शनि के प्रकोप से बचने के क्या उपाय हैं.
शनि की प्रतिकूलता कम करने के आम उपाय
- प्रात:काल सूर्य उदय होने से पूर्व उठकर सूर्य भगवान की पूजा करें, उन्हें गुड़ मिश्रित जल चढ़ाएं.
- माता-पिता और घर के बुजुर्गों की सेवा करें.
-गुरु या गुरुतुल्य लोगों के आशीर्वाद लेते रहें.
-किसी को अकारण कष्ट नहीं दें .
-पारिवारिक भरण-पोषण के लिए ईमानदारी और मेहनत से कमाए धन का सदुपयोग करें.
-अपने ईष्ट पर अटूट श्रद्धा और विश्वास रखें और नियमित रूप से उनकी पूजा-अर्चना करें.
-दुर्व्यसन से दूर रहें.
-बीमारी की अवस्था में एक कटोरी में मीठा तेल लेकर अपना चेहरा देखें, फिर उस कटोरी को आटे से भरकर गाय को खिला दें. बीमारी से राहत मिलने लगेगी.
-ग्रह शांति के लिए प्रत्येक अमावस, पूर्णिमा की शाम को एक दोने में पके हुए चावल लें. उस पर दही डालें. फिर उसे अपने मकान में लेकर घूमें. इसके बाद यह दोना किसी पीपल के वृक्ष के नीचे रख आएं.
- शनि महाराज प्रत्येक शनिवार के दिन के दिन पीपल के वृक्ष में निवास करते हैं. इसदिन जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके तीन परिक्रमा करने से शनि प्रसन्न होते हैं.
- शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण होने वाले कष्टों में कमी आती है.
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हनुमान जी भी दूर करते हैं पीड़ा
- मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में तिल का दीया जलाने से भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
-सुंदरकांड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है.
- गोरज मुहूर्त में चींटियों को तिल चौली डालें.
-भगवान शंकर पर काले तिल व कच्चा दूध रोजाना चढ़ाना चाहिए. यदि शिवलिंग पीपल वृक्ष के नीचे हो तो अति उत्तम होता है.
- काले उड़द जल में प्रवाहित करें.
-काले उड़द भिखारियों को दान करें.
- भैरव साधना, मंत्र-जप आदि करें.
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मां काली की करें आराधना
- शनि की प्रतिकूल स्थिति में मां काली की आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
- इसके अलावा जमीन पर तेल गिराएं.
- रूके हुये पानी में काला सुरमा दबाए.
- वट बृक्ष की पेड़ की जड़ में दूध डालकर उसकी गीली मिट्टी का तिलक माथे पर लगाएं.
- मन्दिर में उड़द काली मिर्च, काले चने व चन्दन की लकडी दान में दें.
- श्रमिक वर्ग से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.
-मन्दिर में बादाम चढ़ाएं और उनमें से आधे वापस लाकर अपने घर में रख लें.
-काले सुरमे को बहते जल में प्रवाहित करें.
-सरसो का तेल मिट्टी या शीशी के बर्तन में बन्द करके तालाब के पानी के अन्दर दबाएं.
-शराब, अण्डे, मांस से परहेज करें.
-8 किलो साबुत उड़द बहते पानी में प्रवाहित करें.
-10 दृष्टिबाधित लोगों को भोजन करायें.
इन मंत्रों के जाप से मिलेगी राहत
जब कुंडली में शनि प्रतिकूल स्थिति में हों तो कुछ मंत्रों का नियमित रूप से कम से कम 108 बार जप करने से शनि के प्रकोप में कमी आती है. इन मंत्रों का जप करने के साथ-साथ व्यक्ति को शनिवार के दिन शनि मंदिर में सरसों का तेल भी चढ़ाना चाहिए.
-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
-ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:
-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
-शनि का पौराणिक मंत्र 'ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम. छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम. '