Mangla Gauri Vrat Upay: हिंदू धर्म शास्त्रों में सावन का महीना बहुत ही शुभ और पवित्र माना गया है. इस माह में पड़ने वाले सोमवार और मंगलवार का विशेष महत्व बताया गया है. बता दें कि सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. ये व्रत मां पार्वती को समर्पित होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और संतान सुख की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं. 


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हिंदू पंचांग के अनुसार 6 अगस्त को सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सुहागिन महिलाओं को मां पार्वती का आशीर्वाद मिलता है. आप भी वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाना चाहते हैं, तो मंगला गौरी व्रत के पूजन के दौरान कृत पार्वती स्तोत्र का पाठ करें. इससे जल्द ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 


तीसरा मंगला गौरी व्रत 2024 और शुभ मुहूर्त 


हिंदू पंचांग के अनुसा तीसरा मंगला गौरी व्रत शुक्ल पक्ष क द्वितीया तिथि 6 अगस्त के दिन रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 21 मिनट से लेकर 05 बजकर 03 मिनट कर रहेगा. वहीं, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. 


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जानकी कृत पार्वती स्तोत्र 


''जानकी उवाच''


शक्तिस्वरूपे सर्वेषां सर्वाधारे गुणाश्रये।


सदा शंकरयुक्ते च पतिं देहि नमोsस्तु ते।।


सृष्टिस्थित्यन्त रूपेण सृष्टिस्थित्यन्त रूपिणी।


सृष्टिस्थियन्त बीजानां बीजरूपे नमोsस्तु ते।।


हे गौरि पतिमर्मज्ञे पतिव्रतपरायणे।


पतिव्रते पतिरते पतिं देहि नमोsस्तु ते।।


सर्वमंगल मंगल्ये सर्वमंगल संयुते।


सर्वमंगल बीजे च नमस्ते सर्वमंगले।।


सर्वप्रिये सर्वबीजे सर्व अशुभ विनाशिनी।


सर्वेशे सर्वजनके नमस्ते शंकरप्रिये।।


परमात्मस्वरूपे च नित्यरूपे सनातनि।


साकारे च निराकारे सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।


क्षुत् तृष्णेच्छा दया श्रद्धा निद्रा तन्द्रा स्मृति: क्षमा।


एतास्तव कला: सर्वा: नारायणि नमोsस्तु ते।।


लज्जा मेधा तुष्टि पुष्टि शान्ति संपत्ति वृद्धय:।


एतास्त्व कला: सर्वा: सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।


दृष्टादृष्ट स्वरूपे च तयोर्बीज फलप्रदे ।


सर्वानिर्वचनीये च महामाये नमोsस्तु ते।।


शिवे शंकर सौभाग्ययुक्ते सौभाग्यदायिनि।


हरिं कान्तं च सौभाग्यं देहि देवी नमोsस्तु ते।।


फलश्रुति


स्तोत्रणानेन या: स्तुत्वा समाप्ति दिवसे शिवाम्।


नमन्ति परया भक्त्या ता लभन्ति हरिं पतिम्।।


इह कान्तसुखं भुक्त्वा पतिं प्राप्य परात्परम्।


दिव्यं स्यन्दनमारुह्य यान्त्यन्ते कृष्णसंनिधिम्।।


।।श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।


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गौरी मंत्र


ॐ देवी महागौर्यै नमः।।


ध्यान मंत्र


वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।


सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्।।


पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।


वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्।।


पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।


मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।


प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।


कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्।


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)