Shaligram Ji Ki Aarti: भगवान शालिग्राम जी को ही श्रीहरि विष्णु का स्वरूप माना जाता है. हर साल कार्तिक माह, शुक्ल पक्ष के एकादशी के दिन इनका विवाह माता तुलसी के साथ संपन्न होता है. इस दौरान माता तुलसी और शालिग्राम भगवान की पूजा भक्त जन विधि-विधान से करवाते हैं. पूजा के भक्तों की ओर से माता तुलसी और शालिग्राम भगवान की आरती गाई जाती है. मान्यता है कि शालिग्राम भगवान की आरती का करने से भगवान धन और संतान से घर भर देते हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर आप पूजा के बाद आरती नहीं करते हैं तो पूजा अधूरी रह जाती है. ऐसे में भक्तों के लिए यहां हम आरती लिख रहे हैं जिससे कि उन्हें यह पाठ करने में किसी भी तरह की असुविधा न हो.


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शालिग्राम जी की आरती 


शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।
यह वरदान दयाकर पाऊं ॥


प्रात: समय उठी मंजन करके ।
प्रेम सहित स्नान कराऊँ ॥


चन्दन धुप दीप तुलसीदल ।
वरन -वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥


तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित ।
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ॥


चरण धोय चरणामृत लेकर ।
कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं ॥


जो कुछ रुखा सूखा घर में ।
भोग लगाकर भोजन पाऊं ॥


मन वचन कर्म से पाप किये ।
जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ ॥


ऐसी कृपा करो मुझ पर ।
जम के द्वारे जाने न पाऊं ॥


माधोदास की विनती यही है ।
हरी दासन को दास कहाऊं ॥


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)