Shaligram Puja Rules in Hindi: सनातन धर्म में शालिग्राम जी की पूजा का खास महत्व बताया गया है. शालिग्राम को भगवान विष्णु जी का रूप माना जाता है. कहते हैं कि जो जातक शालिग्राम की नियमित पूजा-आराधना करते हैं, उन्हें जीवन में किसी भी तरह की कमी नहीं रहती है. ऐसे जातकों की जिंदगी में नौकरी-कारोबार से लेकर हर जगह खुशियां हासिल होती हैं. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि पूजा के दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करें वरना आपको पूजा का पूर्ण फल हासिल नहीं होगा. 


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शालिग्राम की पूजा के नियम


अगर शालिग्राम की पूजा करते हैं तो रोजाना सुबह जल्दी उठकर स्नान के पश्चात शालिग्राम जी को पंचामृत से स्नान करवाएं. इस पंचामृत में दूध, घी, शक्कर, दही और शहद शामिल होना चाहिए. इसके बाद उनके सामने देसी घी का दीपक जलाकर उन पर पुष्प और चंदन अर्पित करें. इसके बाद आप ओम नारायणाय विद्महे. वासुदेवाय धीमहि. तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ मंत्र का जाप कर भगवान विष्णु का पूजन करें. उन्हें भोग अर्पित करते वक्त उसमें तुलसी का पत्ता जरूर डालें. साथ ही शालिग्राम पर अर्पित किए गए पंचामृत को प्रसाद के रूप में सभी लोगों में बांटें.


ये चीजें कभी न करें अर्पित


ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक, शालिग्राम जी की पूजा में कभी भी चावल या अक्षत अर्पित नहीं करने चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि अगर आप शालिग्राम पर अक्षत चढ़ाना भी चाहते हैं तो उन्हें पहले हल्दी चढ़ाकर थोड़ा पीला कर दें. इसके बाद आप उन्हें शालिग्राम जी की प्रतिमा पर अर्पित कर सकते हैं. 


पूजा का क्रम कभी न टूटे


सनातन धर्म के विद्वानों का कहना है कि अगर आपने अपने घर में शालिग्राम जी की प्रतिमा स्थापित कर रखी है तो उनकी पूजा का क्रम कभी टूटना नहीं चाहिए. अगर आप किसी वजह से घर पर नहीं है तो किसी अन्य व्यक्ति को उनकी नियमित पूजा की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए. किसी भी घर में केवल एक ही शालिग्राम होना चाहिए. एक से ज्यादा शालिग्राम रखने पर वास्तु दोष का सामना करना पड़ता है. जिस घर में शालिग्राम स्थापित हो, वहां पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और कभी भी मांस-मदिरा का सेवन नहीं होना चाहिए. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)