Shani Dev Likes and Dislikes: शनि देव को लोग क्रूर ग्रह मानते हैं, किंतु ऐसा नहीं है. शनि देव तो न्यायाधीश हैं और मित्रवत न्यायाधीश हैं. वह मनुष्यों के गलती करने पर सुधरने का पूरा मौका देते हैं, किंतु यदि व्यक्ति फिर भी नहीं मानता है तो उसे दंड देने में वह किसी भी तरह का संकोच नहीं करते हैं. मनुष्यों के गलती करने पर शनि देव के संकेत किसी को भी अच्छे नहीं लगते हैं. 


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शास्त्रों में भी कहा गया है कि हितं मनोहारी च दुर्लभ वचः अर्थात हितकारी वचन कभी भी मधुर नहीं हो सकते हैं और मित्र भी वही सच्चा है, जो हमारी कमियों को मजबूती के साथ बता सके. संत कबीर दास जी ने तो इस बारे में कहा ही है कि निंदक नियरे राखिए आंगन कुटि छवाए यानी निंदा करने वाले को अपने ही घर के आंगन में रखना चाहिए. 


शनि देव भी ऐसे ही सच्चे मित्र की तरह व्यवहार करते हैं. हम राजी से माने तो ठीक है, वरना शनि देव तो दंड देकर भी सुधार करवा देते हैं. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़े साती चलती है, तब शनि देव व्यक्ति के बीते काल के कर्मों का अवलोकन करने लगते हैं. एक तरह से वह ऑडिट करते है और ऑडिट में यदि किसी तरह की गड़बड़ी पकड़ में आई तो उस गलती के अनुसार, सजा मिलने भी तय है. 


व्यक्ति के जिस तरह के कर्म होते हैं, शनि देव उसके कर्मों के अनुसार ही उसका फल प्रदान करते हैं. वह कठोर और परिश्रमी हैं. यूं तो शनि देव सूर्य के पुत्र हैं, किंतु पुत्र होने के बाद भी सूर्य देव और शनि के बीच शत्रुता पूर्ण संबंध माना जाता है. हालांकि, शत्रु शब्द उचित नहीं है, क्योंकि पिता और पुत्र कभी भी शत्रु नहीं हो सकते हैं. हां वैचारिक मतभेद के कारण उनका स्वभाव विपरीत है, जिसे लोग शत्रुवत समझते हैं. शनि को प्रसन्न करने के लिए आपको सदैव कठोर परिश्रम करना होगा. 


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