Shri Krishna Janmashtami 2023 Interesting Facts: पूरी दुनिया आज भगवान श्रीकृष्म का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाएगी. इसके लिए मथुरा-वृंदावन और द्वारका समेत देशभर के मंदिर पूरी तरह सज चुके है. आज हम आपको भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी अहम गाथा आपको बताने जा रहे हैं. इस बात को तो सभी जानते हैं कि भगवान कृष्ण की मृत्यु पैर में बहेलिया का तीर लगने से हुई थी लेकिन उनके बाद उनके माता-पिता यशोदा- नंदबाबा और देवकी-वासुदेव का क्या हुआ था. क्या वे अनंतकाल तक जीवित रहे थे या उनका भी देहांत हुआ था. अगर देहांत हुआ था तो कैसे. आज हम इस रहस्य से आप सबके सामने पर्दा हटाने जा रहे हैं. 


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मां यशोदा को देख बिलख उठे थे कान्हा!


शास्त्रों के मुताबिक कुरुक्षेत्र का युद्ध शुरू होने से पहले भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) द्वारका ने निकलकर मथुरा के गोकुल पहुंचे और यशोदा मैया से मिले. उस वक्त यशोदा मैया बहुत ज्यादा बीमार थी. जैसे ही कान्हा उनके घर पहुंचे, नंद बाबा (Nand Baba) और देवकी उनसे मिलकर बहुत खुश हो गए. वहीं भगवान श्रीकृष्ण उनसे मिलकर भावुक हो गए. श्रीकृष्ण के वहां से जाने के कुछ दिनों बाद बीमारी से यशोदा मैया (Yashoda Maiya) का निधन हो गया.


खुद के लिए रचा था ऐसा विधान


महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद वे फिर से गोकुल आए और अपनी प्रिय यशोदा मैया (Yashoda Maiya) के निधन पर बहुत दुख जताया. इसके बाद वे नंद बाबा को ढाढस बंधाकर द्वारका लौट गए. वहां पर एक दिन वे नदी किनारे बैठे थे. तभी एक बहेलिया का तीर उनके पैर के तलवे में आकर लगा, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. असल में धरती से विदाई लेने के लिए भगवान विष्णु ने ऐसा ही विधान रचा था. 


मां देवकी और पिता वासुदेव की हुई थी ये गति


जब कान्हा (Shri Krishna) के निधन का समाचार मथुरा पहुंचा तो उनके पिता वासुदेव (Vasudev) को जबरदस्त दुख पहुंचा और वे सदमे में चले गए. इसी सदमे की वजह से उनकी मृत्यु हो गई. अपने पति और बेटे की मौत का समाचार माता देवकी (Devki) सहन नहीं कर पाईं. वियोग में आकर उन्होंने सती होने का फैसला किया और आग में कूदकर अपनी जान दे दी. 


नंद बाबा का क्या हुआ था हाल?


नंद बाबा के बारे में ज्यादा जानकारी शास्त्रों में उपलब्ध नहीं है. हालांकि मान्यता है कि नंद बाबा (Nand Baba) भगवान शिव के अनन्य भक्त थे और उनकी उपासना में लीन रहते थे. इसीलिए भगवान शिव के गण उन्हें लेने के लिए खुद धरती पर आए और सशरीर उन्हें अपने साथ स्वर्ग ले गए. जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)