Shivling Jalabhishek Niyam : धर्म-शास्‍त्रों में कहा जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्‍न करना सबसे आसान है. शिवजी अपने भक्‍तों से जल्‍दी प्रसन्‍न हो जाते हैं इसलिए उन्‍हें भोलेनाथ कहा जाता है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. सोमवार को शिवलिंग का अभिषेक करना, शिवलिंग पर जल चढ़ाना, शिवजी की विधि-विधान से पूजा करना भक्‍तों की हर मुराद पूरी करवा देता है. माना जाता है कि भगवान शिव तो केवल जल चढ़ाने से ही प्रसन्‍न हो जाते हैं. बस इसके लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कुछ नियमों का पालन करना होता है, वरना गलत तरीके से शि‍वलिंग पर जल चढ़ाने से शिव जी नाराज भी हो सकते हैं. 


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शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम 


- शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ध्‍यान रखें की आपका मुख पूर्व दिशा में नहीं हो क्‍योंकि पूर्व दिशा को ही भगवान शिव का मुख्‍य द्वार माना गया है. ऐसे में पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से शिव के द्वार में अवरोध पैदा होता है. इससे शिव जी नाराज हो सकते हैं. 


- इसी तरह शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय व्‍यक्ति का मुख उत्‍तर और पश्चिम दिशा में भी नहीं होना चाहिए क्‍योंकि इन दिशाओं में भगवान शिव का कंधा और पीठ होती है. लिहाजा इन दिशाओं की ओर मुख करके जल चढ़ाने से उसका पूरा फल नहीं मिलता है. 


- लिहाजा शिवलिंग पर जल चढ़ते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख रहना सबसे अच्‍छा माना गया है. ऐसा करने से जलाभिषेक का पूरा फल मिलता है. शिवजी प्रसन्‍न होंगे और आपकी हर मुराद पूरी होगी. 


- शिवलिंग पर जल हमेशा तांबे या पीतल के पात्र से चढ़ाएं. चांदी के पात्र से भी जल चढ़ाना शुभ है. लेकिन स्‍टील के लोटे या पात्र से कभी भी जल ना चढ़ाएं. स्‍टील या लोहे पर शनि-राहु का प्रभाव रहता है, जो अशुभ फल देता है. 


- शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ध्‍यान रखें कि जल्‍दी से जल ना चढ़ाएं बल्कि एक छोटी धारा बनाकर जल चढ़ाएं. इस दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)