भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव की ऊर्जा से सभी परिचित हैं क्योंकि उनकी ऊर्जा से ही पूरा संसार चल रहा है. सोलर एनर्जी यानी सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा को पावर प्लांट में बदल कर वाहन और कारखाने चलाए जा रहे हैं. सिर्फ इतना ही नहीं सूर्य किरणों में विटामिन डी भी मौजूद होता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक है. यूं तो आपने कई बार मंदिरों में सूर्य नारायण की प्रतिमा को देखा होगा पर क्या आपने कभी गौर किया है कि सूर्य प्रतिमा में पैर नहीं दिखाई देते है. आज हम आपको इसके पीछे का कारण बताएंगे. आइए जानते हैं.


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पढ़ें कथा


 


सूर्यदेव का विवाह उस समय के प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से हुआ जिनसे उनकी तीन संतान यमुना, वैवस्त मनु और यम का जन्म हुआ. सूर्यदेव के तेज के कारण उनकी पत्नी का कुछ देर भी उनके पास रुकना मुश्किल होता था. इस पर उन्होंने अपनी छाया को उत्पन्न किया और स्वयं वहां से चली गयीं. कुछ समय के बाद ही सूर्यदेव को अपनी पत्नी के स्वभाव और बच्चों के संग व्यवहार में अंतर लगा. उनका ऐसा व्यवहार संज्ञा के पिता से नहीं देखा गया तो संज्ञा ने पूरी बात बता दी. 


 


तेज ‌को कम करने की प्रार्थना


 


इधर सूर्यदेव को भी अपने तेज का भान हुआ तो उन्होंने विश्वकर्मा जी  से तेज कम करने की प्रार्थना की. इस पर विश्वकर्मा ने उनके तेज को कम कर उससे भगवान विष्णु का दिव्य चक्र,  शिव जी का अमोघ त्रिशूल, यमराज का दंड, कार्तिकेय की अद्भुत शक्ति और कुबेर की शिविका आदि का निर्माण किया. यही कारण है कि इन शस्त्रों का प्रयोग कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है.  


 


विश्वकर्मा जी जब सूर्यदेव के तेज को खराद पर घुमा के कम कर रहे थे, उस समय वे उनके पैरों का तेज कम करना भूल गए जिसके कारण उनके  पूरे शरीर का तेज तो कम हो गया किंतु पैरों का तेज पहले जैसा ही  बना रहा. 


 


पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यही कारण है कि सूर्यदेव की प्रतिमा आदि के निर्माण में उनके चरणों को दर्शाना निषिद्ध है, इतना ही नहीं इसी कारण सूर्यदेव की प्रतिमा में चरणों की पूजा नही की जाती है. उनका तेज कम होने के बाद उनकी पत्नी संज्ञा भी लौट आईं और परिवार के साथ रहने लगीं.