Ekadashi vart katha: वर्ष में वैसे तो 24 एकादशी पड़ती हैं जिनमें से मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का अलग ही महत्व है. इस एकादशी का व्रत करने वालों को पूरे जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद विष्णु लोक का वास मिलता है. इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं, क्योंकि इसदिन लोक का परोपकार करने वाली देवी का जन्म हुआ था. इसलिए कुछ लोग इसे कन्या एकादशी भी कहते हैं. इस बार उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को मनाई जाएगी. 


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उत्पन्ना एकादशी की कथा को जानिए
सतयुग में मुर नामक असुर ने देवताओं ने विजय प्राप्त कर इंद्रदेव को उनके पद से हटा दिया और देवताओं पर अत्याचार करने लगा. इस पर पीड़ित देवता भगवान शंकर के पास निवेदन करने पहुंचे और उनकी सलाह पर विष्णु जी की शरण में गए. देवताओं ने अपनी समस्या विष्णु जी को बताई तो वह देवताओं की मदद करने के लिए तैयार हुए. उन्होंने धनुष से बाण चलाया जिससे तुरंत ही कई दानव मृत्यु को प्राप्त हुए लेकिन मुर दानव फिर भी जीवित रहा क्योंकि उसने तो देवताओं से अजेय रहने का वरदान प्राप्त किया था. 


कन्या ने किया मुर दानव का वध
मुर दानव का वध न कर पाने से दुखी विष्णु जी बद्रिकाश्रम की गुफा में चले गए. मुर को इस बात का पता लगा तो वह विष्णु जी को मारने वहां पहुंचा, ठीक उसी समय विष्णु जी के शरीर से एक कन्या पैदा हुई जिसने मुर का संहार किया. बाद में कन्या ने विष्णु जी को बताया कि मैं आपके शरीर से ही पैदा हुई शक्ति हूं. विष्णु जी ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए वरदान दिया, “तुम संसार के मायाजाल में उलझे तथा मोहवश मुझे भूले हुए प्राणियों को मुझ तक लाने में सक्षम रहोगी. तुम्हारी आराधना करने वाला प्राणी आजीवन सुखी रहेगा और मृत्यु के बाद मेरे लोक में वास करेगा. विष्णु जी के शरीर से उत्पन्न होने के कारण ही उसे उत्पन्ना या कन्या एकादशी कहा गया. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)