Auspicious and Inauspicious Direction: वास्तु शास्त्र में घर के हर हिस्से, दिशा और जगह का काफी महत्व होता है. इन दिशाओं का सही इस्तेमाल करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है. घर में पश्चिम दिशा काफी महत्वपूर्ण मानी गई है. इस दिशा के स्वामी खुद शनि देव होते हैं. ऐसे में इस दिशा का महत्व काफी बढ़ जाता है. इस दिशा में अगर वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन नहीं किया जाए तो शनि देव के कोप का शिकार हो सकते हैं.


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शनि देव


पश्चिम दिशा को शनि देव का स्थान माना जाता है. ऐसे में घर में इस जगह को साफ-सुथरा रखना चाहिए. इस दिशा में गंदगी होने पर शनि देव नाराज हो जाते हैं और इंसान को तकलीफों का सामना करना पड़ता है. घर के पश्चिम दिशी की तरफ कोई खिड़की हो तो वह खिड़की पूर्व दिशा की दीवार में मौजूद खिड़की से छोटी होनी चाहिए. ऐसा न होने पर निगेटिव एनर्जी का संचार होने लगता है और घर से खुशहाली चले जाती है.


रसोई घर


घर के पश्चिम दिशा का हिस्सा खुला हुआ होना चाहिए. इस दिशा को बंद करके रखने से घर के सदस्यों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है. ऐसे में हो सके तो इस दिशा के हिस्से को खुला रखें. घर की पश्चिम दिशा में रसोई घर नहीं बनाना चाहिए. घर के इस दिशा में किचन होने से धन हानि होने लगती है और आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है और परिवार में भी अक्सर कलह की स्थिति बने रहती है. वहीं, पति-पत्नी का बेडरूम भी पश्चिम दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए. 


नकारात्मक ऊर्जा


घर के पश्चिम दिशा की तरफ दोष होने पर उपाय किए जा सकते हैं. इस जगह पर शनि यंत्र रखने से वास्तु दोष खत्म हो जाता है.वहीं, घर का मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए. इस तरफ दरवाजा होने से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)