Vidur Niti: ऐसे होती है अपने और पराये की पहचान, जानें क्या कहते हैं महात्मा विदुर
Mahatma Vidur: महात्मा विदुर को महान ज्ञानी माना जाता है. वह कुशाग्र बुद्धि के साथ महान विचारक और दूरदर्शी भी थे. उन्होंने मानव जीवन को लेकर कई सारी बातें कही हैं.
Vidura Niti Lesson: महात्मा विदुर महाभारत काल के सबसे बुद्धिजीवियों में से एक माने जाते हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि वह समय से पहले ही आने वाले परिस्थियों के बारे में लोगों को अवगत करा देते थे. विदुर की कही गई बातों का अनुसरण किया जाए तो जीवन में कभी कोई समस्या नहीं आएगी. विदुर कहते हैं कि अपने और पराये की पहचान होनी बेहद जरूरी है, क्योंकि जरूरत पड़ने पर केवल अपने ही साथ देते हैं.
संकट
महात्मा विदुर कहते हैं कि अपने और पराये की पहचान संकट के समय होती है. यदि कोई व्यक्ति संकट के समय आपके साथ रहता है तो वह अपना है. उनके अनुसार, व्यक्ति की पहचान उसके अच्छे समय में नहीं होती है. व्यक्ति की असली पहचान तो तब होती है, जब वह संकटों से घिरा होता है.
गुणों का आकलन
विदुर नीति के अनुसार, संकटों से घिरे होने पर ही व्यक्ति की पहचान होती है. ऐसे समय पर ही उसके गुणों का आकलन किया जा सकता है. संकट के समय में जो इंसान मदद के लिए तैयार रहे, वही सच्चा हितैषी होता है.
धैर्य
उनके अनुसार, स्वार्थी लोग अच्छे समय में आपकी चापलूसी कर अपना स्वार्थ सिद्धि करते हैं, लेकिन जब संकट का समय आता है तो ऐसे लोग ही सबसे पहले साथ छोड़कर भागते हैं. महात्मा विदुर कहते हैं कि संकट के समय इंसान को धैर्य नहीं खोना चाहिए. चाहे जैसी भी परिस्थिति हो, धैर्य बनाकर रखना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)