नई दिल्ली: फाल्गुन मास की कृष्ण एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है. इसलिए आज (02 मार्च) को विजया एकादशी है. मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत से व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त तो प्राप्त होती ही है साथ ही व्रती को पूर्वजन्म से लेकर इस जन्म के पापों से छुटकारा मिलता है. यानि जैसा इस एकादशी का नाम है वैसा ही फल प्राप्त होता है. आज त्रिपुष्कर योग भी है, मान्यता है कि इस दिन अराधना करने से हर काम का तीन गुना फल मिलेगा. 


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दो दिन रखा जाता है व्रत
मान्यता है कि कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम ने समुद्र किनारे पूजा की थी. राम जी ने समुद्र पार करके लंका पर विजय हासिल की थी, जो भी काम करेंगे उसमें सफलता मिलेगी. पद्म पुराण के एकादशी व्रत की विधि और कथाओं का वर्णन किया गया है. इस पुराण में बताया गया है कि फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है इसका नाम विजया एकादशी है. इस एकादशी का व्रत बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि यह व्रत एक दिन के लिए नहीं बल्कि दो दिन यानी 48 घंटों के लिए रखा जाता है.



क्या है पौराणिक महत्व
विजया एकादशी का पौराणिक महत्व श्री राम से जुडा़ हुआ है, जिसके अनुसार विजया एकादशी के दिन भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे. समुद्र तट पर पहुंच कर भगवान श्री राम ने देखा की सामने विशाल समुद्र है और उनकी पत्नी देवी सीता रावण कैद में है. इस पर भगवान श्री राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की. परन्तु समुद्र ने जब श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया, तो भगवान श्री राम ने ऋषि गणों से इसका उपाय पूछा. ऋषियों में भगवान राम को बताया की प्रत्येक शुभ कार्य को शुरु करने से पहले व्रत और अनुष्ठान कार्य किये जाते है. व्रत और अनुष्ठान कार्य करने से कार्यसिद्धि की प्राप्ति होती है, और सभी कार्य सफल होते है. अत: आप भी फाल्गुण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक कीजिए. भगवान श्री राम ने ऋषियों के कहे अनुसार व्रत किया, जिसके प्रभाव से समुद्र ने उनको मार्ग प्रदान किया और यह व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में मददगार बना, तभी से इस व्रत की महिमा का गुणगान किया जाता है. 


ऐसे करें व्रत
एकादशी व्रत के नियमानुसार, व्रत के एक दिन पहले व्रती केवल एक समय ही भोजन करते हैं और एकादशी के दिन कठोर उपवास करते हैं. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है. एकादशी व्रत में किसी भी तरह के अन्न का सेवन नहीं किया जाता. इस व्रत को व्रती अपने मन की शक्ति और शरीर की सामर्थ्य के अनुसार, निर्जला, केवल पानी के साथ, केवल फलों के साथ या एक समय सात्विक भोजन के साथ इस उपवास को रख सकते हैं. सभी एकादशी उपवास एक ही तरीके से ही रखने चाहिए. अलग-अलग तरह से उपवास रखना ठीक नहीं माना जाता.


आज करें ये उपाय 
सुबह उठते के साथ भगवान का सूर्य का स्मरण करें. सुबह नहा-धोकर सबसे पहले सूर्य को गंगा जल अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान श्री राम परिवार-सीताजी गणेशजी और कार्तिकेय जी पूजा करें. दीप, फूल और धूप से भगवान की अराधना करें. भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं और 'ॐ सिया पतिये राम रामाय नमः' का जाप करें. ऐसी मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से भगवान प्रसन्न होकर तीन गुना फल देते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.