Ramayan Story: अशोक वाटिका में हनुमान जी ने जब सीता माता को विश्वास दिला दिया कि वह प्रभु श्री राम के दूत हैं तो सीता माता के हृदय में उनके प्रति स्नेह पैदा हुआ, उनकी आंखों में आंसू आ गए हनुमान जी ने प्रभु श्री राम का संदेश सुनाया तो जानकी जी उनकी ही याद करने लगीं और अपने शरीर की सुध बुध खो बैठीं. इस पर हनुमान जी ने उनसे कहा कि माता अब आप निराशा त्याग दें. अपने हृदय में धैर्य धारण करें और श्री रघुनाथ जी का स्मरण करें. उनकी प्रभुता को याद करते हुए निराशा का त्याग करें. राक्षसों के समूह श्री राम के अग्नि रूपी बाणों के सामने पतंगे के समान है. अब आप विश्वास कर लीजिए की सभी राक्षसों का संहार तय है. 


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हनुमान जी बोले, श्री राम को पता होता तो वह विलंब नहीं करते


हनुमान जी ने सीता माता से कहा कि यदि श्री रघुनाथ जी को आपके बारे में जानकारी मिल गयी होती तो वह विलंब नहीं करते. हे जानकी जी, राम जी के बाण तो सूर्य के समान हैं और जब वह तरकस से निकलेंगे तो अंधकार के समान राक्षस कहां टिक पाएंगे. हे माता, मैं आपको अभी यहां से ले जाने की शक्ति रखता हूं किंतु प्रभु ने इसके लिए आज्ञा नहीं दी है, उन्होंने तो बस आपका पता लगाने का ही आदेश दिया है. बस अब तो आप कुछ दिन और धैर्य रखिए, प्रभु श्री राम यहां पर वानरों के साथ आएंगे और राक्षसों को मारने के बाद ले जाएंगे. और प्रभु राम के ऐसा करने पर देवर्षि नारद जी आदि सभी ऋषि और मुनि तीनों लोकों में इस घटना का यशगान करेंगे.


हनुमान जी विशाल आकार धारण कर विश्वास दिलाया


हनुमान जी के सामान्य शरीर को देख कर सीता माता को संदेह हुआ और उन्होंने स्नेहवश पूछा कि हे पुत्र, क्या सभी बालक तुम्हारी तरह से इतने ही छोटे हैं क्योंकि राक्षस तो बहुत ही ताकतवर हैं, छोटे छोटे वानर उनका मुकाबला कैसे कर पाएंगे और कैसे उन्हें मार कर विजय प्राप्त करेंगे. इस पर हनुमान जी ने अपने विशाल शरीर के दर्शन कराए. उनका शरीर सोने के सुमेरु पर्वत की तरह विशालकाय हो गया जिसे देखते ही शत्रु भयभीत हो जाए. उनका विशाल शरीर देखने के बाद सीता जी के मन में विश्वास हो गया तो हनुमान जी फिर लघु रूप में आ गए.



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