Dakshinavarti Shankh: कार्तिक मास की पूर्णिमा को भारत समेत पूरी दुनिया में हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार दिवाली (Diwali) मनाई जाएगी. इस अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी (Goddess Laxmi) की विधि-विधान से पूजा की जाएगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता लक्ष्मी के भाई कौन हैं और उनके बिना हर पूजा अधूरी क्यों मानी जाती है? हिंदू धर्म की मान्याता के अनुसार, शंख (Shankh) को माता लक्ष्मी का भाई कहा जाता है. इसी वजह से धन की देवी माता लक्ष्मी के हाथ में एक शंख हमेशा दिखाई देता है. जैसे बिना मां लक्ष्मी की कृपा से धन नहीं मिलता, वैसे ही शंख के बिना सकारात्मक और आध्यात्मिक शक्ति नहीं मिलती है.


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शंख की उत्पत्ति कैसे हुई?


जान लें कि शंख की उत्पत्ति माता लक्ष्मी की तरह समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से हुई थी. समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से 14 रत्न निकले थे, जिनमें से शंख भी एक है. इसी कारण धन की देवी माता लक्ष्मी और दक्षिणावर्ती शंख को भाई-बहन माना जाता है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, दक्षिणावर्ती शंख को माता लक्ष्मी का छोटा भाई कहा जाता है. माना जाता है कि शंख में देवी-देवताओं का वास होता है. शंख को समृद्धि, सुख, विजय, यश, शांति और कीर्ति का प्रतीक माना जाता है.


शंख से क्या होता है लाभ?


आपने भी अधिकतर लोगों के घर में शंख रखा हुआ देखा होगा. माना जाता है कि शंख की आवाज से आरोग्य होने का आशीर्वाद मिलता है. हर दिन शंख बजाने से सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा बहुत हद तक कम हो जाता है. शंख की आवाज घर में सुख-शांति और खुशहाली लाता है.


धनतेरस या दिवाली पर शंख लाएं घर


धनतेरस या दिवाली के दिन आप शंख को अपने घर में ला सकते हैं. शंख कई प्रकार के होते हैं, लेकिन इनमें दक्षिणावर्ती शंख को सबसे अच्छा माना गया है. हालांकि आप अपने घर वामवर्ती शंख, गौमुखी शंख, गणेश शंख, मोती शंख, कौरी शंख और हीरा शंख भी ला सकते हैं. हालांकि नवरात्रि और शिवरात्रि को घर भी आप अपने घर शंख ला सकते हैं.



(Disclaimer: ये स्टोरी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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