भगवान नहीं भक्त के नाम से मशहूर है ये गणपति मंदिर, बेटे की आत्मा की शांति के लिए हलवाई ने करवाया था निर्माण
Ganpati Festival Maharashtra : महाराष्ट्र में गणपति उत्सव चरम पर है. गणेश मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. पुणे के मशहूर श्रीमंत दगड़ूसेठ हलवाई मंदिर में भी यही हाल है. जानिए यह मंदिर मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की तरह क्यों इतना फेमस है.
Dagdusheth Ganpati Mandir Pune: मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर देश-दुनिया में मशहूर है. इसी तरह महाराष्ट्र का एक और गणपति मंदिर बेहद प्रसिद्ध है और अपनी मनोकामनाएं पूर्ति के लिए देश के कोने-कोने से भक्त यहां आते हैं. यह है पुणे स्थित श्रीमंत दगड़ू सेठ हलवाई गणपति मंदिर. यह महाराष्ट्र का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. इसे आम बोलचाल में दगडू सेठ का मंदिर भी कहते हैं. इस मंदिर का अजीब नाम सुनकर यह सवाल लाना लाजिमी है कि इस मंदिर का नाम ऐसा क्यों है? जानिए दगड़ूसेठ गणपति मंदिर का इतिहास.
हलवाई ने बनवाया था यह गणपति मंदिर
यह देश का एक ऐसा अनूठा मंदिर है, जिसका नाम भगवान की बजाय भक्त के नाम पर मशहूर है. या यह भी कह सकते हैं कि इस मंदिर के नाम में भक्त का नाम पहले और भगवान का नाम बाद में आता है. पुणे के दगड़ूसेठ गणपति मंदिर का निर्माण यहां के मशहूर हलवाई रहे दगड़ूसेठ ने करवाया था. इसलिए उनके ही नाम पर इस मंदिर का नाम श्रीमंत दगड़ूसेठ हलवाई गणपति मंदिर पड़ गया.
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बेटे की आत्मा की शांति के लिए बनवाया था मंदिर
19वीं सदी में दगड़ूसेठ नाम के एक हलवाई कोलकाता से पुणे आए थे. यहां उनका कारोबार अच्छा चला. लेकिन जब पुणे में प्लेग महामारी फैली तो उन्होंने उस बीमारी में अपने इकलौते बेटे को खो दिया. इस हादसे दगड़ूसेठ और उनकी पत्नी गहरे शोक में आ गए. वे चाहते थे कि अकाल मृत्यु के बाद उनके बेटे की आत्मा को शांति मिले तो इसके लिए उन्होंने एक पंडितजी से उपाय पूछा. तब पंडितजी ने उन्हें भगवान गणेश का मंदिर बनवाने की सलाह दी.
1893 में बनवाया गणपति मंदिर
पंडित जी की सलाह पर वर्ष 1893 में दगड़ूसेठ हलवाई ने एक भव्य गणपति मंदिर का निर्माण कराया और गणपति प्रतिमा स्थापित की. यह गणपति की सोने से बनी भव्य मूर्ति है. यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर से ही लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश उत्सव की शुरुआत की थी. आजादी की लड़ाई में गणेश उत्सव का बड़ा योगदान रहा. इस उत्सव के जरिए ही आजादी की लड़ाई लड़ रहे क्रांतिकारी बैठकें किया करते थे. हर साल गणेश उत्सव पर दगड़ूसेठ मंदिर की अलौकिक सजावट की जाती है और दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन करने आते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)