Garuda Puarana Akaal Mrityu ka karan: गुरुड़ पुराण में जीवन, मृत्‍यु, पाप, पुण्‍य, कर्म आदि के बारे में विस्‍तार से बताया गया है. यदि व्‍यक्ति गरुड़ पुराण में बताई गई सीखों के आधार पर अपना जीवन बिताए तो उसका ना केवल ये जीवन बल्कि अगले जन्‍म भी संवर जाते हैं. धर्म-अधर्म को लेकर गरुड़ पुराण में बहुत महत्‍वपूर्ण बातें बताई गई हैं. जिसका बड़ा असर व्‍यक्ति के जीवन पर पड़ता है. आइए आज अकाल मृत्‍यु के बारे में जानते हैं. 


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क्‍या है अकाल मृत्‍यु 
 
जबकि व्‍यक्ति अपना जीवनकाल पूरा करके सामान्‍य तरीके से मरता है तो उसे सामान्‍य मृत्‍यु कहा जाता है. वहीं दुर्घटना, बीमारी, हत्‍या, हादसे आदि के कारण होने वाली मृत्‍यु को अकाल मृत्‍यु कहा जाता है. गरुड़ पुराण में अकाल मृत्‍यु से जुड़े कई रहस्‍य बताए गए हैं. जैसे- अकाल मृत्‍यु क्‍यों होती है, इसके पीछे क्‍या कारण हैं. साथ ही अकाल मृत्यु के बाद आत्मा को कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क भोगना पड़ता है. 


अकाल मृत्‍यु का कारण 


गरुड़ पुराण के अनुसार कई लोग धर्म का पालन नहीं कर पाते या धर्म के मार्ग पर नहीं चल पाते हैं. इसके अलावा उनके बुरे कर्म भी उनके जीवन के साथ-साथ मृत्‍यु पर असर डालते हैं. ऐसे जातकों को अकाल मृत्‍यु का सामना करना पड़ता है. पिछले जन्‍म के कर्म भी अकाल मृत्‍यु का कारण बन सकते हैं. दरअसल, व्‍यक्ति के बुरे कर्म उसकी उम्र कम करते जाते हैं. इसके अलावा गरुड़ पुराण के अनुसार पाप करना, दुराचार करना, स्त्रियों का शोषण-अपमान करना, झूठ बोलना, भ्रष्टाचार जैसे कुकर्म भी अकाल मृत्यु का कारण बनते हैं. बहुत अधिक पाप करने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाती है. 


अकाल मृत्यु के बाद कहां जाती है आत्मा?


गरुड़ पुराण के अनुसार जिन लोगों की अकाल मृत्यु होती है, उन्हें अपनी जरूरतों की पूर्ति अर्थात सुख, भूख, प्यास के लिए अंधकार में भटकना पड़ता है. ऐसी आत्‍माएं भूत-प्रेत बन जाती हैं. कई बार वे अपनी अधूरी इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए अपने आसपास के लोगों को कष्ट भी देने लगती हैं. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)