Uttar Mukhi Hanuman Ji: हनुमान जी को रुद्रावतार भी कहा जाता है. उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की वाराह या शूकर के रूप में पूजा की जाती है. इसी के साथ उत्तर दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है. अब जिस दिशा में देवता रहते हों तो वह स्वाभाविक रूप से शुभ और मंगलकारी हो जाती है. 


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उत्तर दिशा में हनुमान जी की मूर्ति
उत्तर दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है. इस ओर मुख किए भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु तो मिलती है साथ ही रोगों से भी मुक्ति होती है. श्री हनुमान जी के बारे में गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा में लिखा भी है, 


संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा 


 


नकारात्मकता होती है दूर
घर के उत्तर दिशा में हनुमान जी की मूर्ति या चित्र रख कर पूजा करने से हनुमान जी अपनी कृपा तो बरसाते ही हैं, उस घर में यदि किसी तरह का वास्तुदोष हो तो वह भी स्वतः ही दूर हो जाता है क्योंकि लिखा ही है कि भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। इसलिए उत्तराभिमुखी हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. 


 


दूर होते हैं कष्ट
उत्तर दिशा में हनुमान जी का वाराह रूप है जो भगवान विष्णु ने धरती पर अपने पहले अवतार में धारण किया था और यह भी सभी लोगों को मालूम है कि विष्णु जी ने यह रूप हिरण्याक्ष नामक दैत्य का वध करने के लिए लिया था क्योंकि उसके अत्याचार से पृथ्वी लोक के लोग तंग आ चुके थे. इस दिशा के हनुमान जी की आराधना करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.