Light Pillars Explained: दक्षिण-पश्चिम कनाडा में रहने वाले आजकल रात को बेहद खूबसूरत नजारा देखते हैं. आसमान से गिरते रोशनी के खंभों (Light pillars) को देखकर वह हैरान भी होते हैं और थोड़े घबरा भी जाते हैं. जिन्होंने ऐसी चीजें अभी तक फिल्मों में ही देखी हैं, उन्हें लगता है कि एलियंस ने हमला बोल दिया है. हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है और यह एक प्राकृतिक घटना है. बादलों से नीचे बर्फीली जमीन तक आते रोशनी के इन खंभों को 'लाइट पिलर्स' ही कहते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये 'लाइट पिलर्स' सेंट्रल अल्बर्टा में देखे गए हैं जहां पर इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. वहां रात के समय तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. इतनी ठंड में नजर आने वाले इन 'लाइट पिलर्स' को लोग अक्सर कोई अलौकिक घटना मान लेते हैं, लेकिन यह प्रकृति का एक ऑप्टिकल इलूजन है.



कैसे बनते हैं ये 'लाइट पिलर्स'?


'लाइट पिलर्स' तब बनते हैं जब पृथ्वी की सतह से आने वाला प्रकाश ऊपर जमे बादलों में मौजूद छह-तरफा बर्फ के क्रिस्टलों से परावर्तित होता है. हवा में लटके बर्फ के छोटे क्रिस्टल, प्रकाश स्रोतों को परावर्तित करने वाले लाखों छोटे दर्पणों की तरह काम करते हैं. ये प्लेट के आकार के बर्फ के क्रिस्टल, जो आमतौर पर लगभग 0.02 मिमी जितने होते हैं और रोशनी का एक वर्टिकल कॉलम बनाते हैं. धरती से देखने पर ऐसा लगता है कि अलग-अलग जगह से रोशनी धरती पर गिर रही हो.


यह भी देखें: क्रैब नेबुला में रहस्यमय 'जेब्रा' पैटर्न कैसे बन रहे? अब  खुला 970 साल पहले के सुपरनोवा का राज


लाइट पिलर्स तब दिखते हैं जब कई तरह की मौसमी स्थितियां जुगलबंदी करती हैं. इनके लिए -10 से -40 डिग्री सेल्सियस तापमान, हाई ह्यूमिडिटी चाहिए होती है, हवा बिल्कुल नहीं चलनी चाहिए. जब ऐसे रोशनी के खंभे सूरज की रोशनी में बनते हैं तो उन्हें 'सन पिलर' कहते हैं.


विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!